Showing posts with label आविया रज़ियल्लाहु अन्हुमा के चंद फ़ज़ाइल ओ मनाक़िब. Show all posts
Showing posts with label आविया रज़ियल्लाहु अन्हुमा के चंद फ़ज़ाइल ओ मनाक़िब. Show all posts

मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हुमा के चंद फ़ज़ाइल ओ मनाक़िब

मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हुमा के चंद फ़ज़ाइल ओ मनाक़िब

लेखक: दानिश सनाबिली 

हिंदी अनुवाद: अब्दुल मतीन सैयद
=================

(1) आप रज़ियल्लाहु अन्हु कातिबीन-ए-वहि में से एक है मुलाहज़ा फ़रमाए सहीह मुस्लिम (2604) "المعجم الکبیر للطبرانی "
(14446)
 इब्न तैमियाह रहिमहुल्लाह फ़रमाते है: रसूलुल्लाह ﷺ ने मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु की तजुर्बा-कारी और अमानत-दारी कि वजह से इन्हें कातिब-ए-वहि मुकर्रर फ़रमाया 
(منھاج السنۃ:4/439)
(2) आप रज़ियल्लाहु अन्हु अहल ए ईमान के मामूँ है क्यूंकि आप उम्म-उल-मोमिनीन उम्म-ए-हबीबा रमला बिंत अबू सुफियान के भाई है
अबू तालिब कहते हैं: मैंने इमाम अहमद रहिमहुल्लाह से पूछा क्या मैं मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु को अहल ए ईमान का मामूं कहूं और अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा को अहल ए ईमान का मामूं कहूं ? फ़रमाया: हां मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु आप ﷺ की ज़ौजा मुहतरमा उम्म ए हबीबा बिंत अबू सुफियान के भाई और दोनों के रहमी रिश्तेदार हैं और अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा आप ﷺ की ज़ौजा मुहतरमा हफ़सा के भाई और उन दोनों के रहमी रिश्तेदार हैं
 (السنۃ للخلال:657)
अब्दुल मालिक बिन अब्दुल हमीद मैमूनी बयान करते हैं: मैंने इमाम अहमद बिन हंबल से कहा : क्या रसूल-ए-अकरम ﷺ ने यह नहीं फ़रमाया कि हर नसबी और सुसराली (निकाह की वजह से वुजूद में आने वाला) रिश्ता टूट जाएगा सिवाए मेरे नसबी और सुसराली रिश्ते के ? 
इमाम अहमद ने फ़रमाया हां मैंने कहा यह मनक़बत मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु को भी हासिल है ? फ़रमाया हां वो नबी ﷺ के नसबी रिश्तेदार भी है और सुसराली रिश्तेदार भी 
( السنۃ للخلال:654)
(3) नबी-ए-अकरम ﷺ ने उन के लिए ख़ुसूसी (ख़ास) दु'आ फ़रमाइ है: फ़रमाया " ऐ अल्लाह मुआविया को किताब और हिसाब का 'इल्म अता फ़र्मा और इन्हें 'अज़ाब से महफ़ूज़ फ़र्मा दे "
( السلسلۃ الصحیحۃ:3227)
और आप ﷺ ने फ़रमाया: ऐ अल्लाह मुआविया को हिदायत देने वाला हिदायत-याफ़्ता (सीधे मार्ग पर चलने वाला) बना दे इसे हिदायत पर हमेश्गी दे और इस के ज़री'आ लोगों को हिदायत दे "
( السلسۃ الصحیحۃ:1969)
(4) आप ﷺ ने इन के दौर-ए-हुकूमत को रहमत क़रार दिया है फ़रमाया: " इस मु'आमले की इब्तिदा (शुरू'आत) में नुबुव्वत व रहमत होगी फिर ख़िलाफ़त व रहमत फिर बादशाहत व रहमत "
( السلسۃ الصحیحۃ : 3270)
शैख़-उल-इस्लाम इब्न तैमियाह रहिमहुल्लाह फ़रमाते है: और मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु की इमारत (हुक़ूमत) बादशाहत व रहमत थी 
(جامع المسائل:5/154)
(5) मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु को ब-ज़बान ए रसूल ﷺ जन्नती होने की बशारत (ख़ुशख़बरी) हासिल है
आप ﷺ ने फ़रमाया: मेरी उम्मत का पहला लश्कर जो समुंदर के रास्ते ग़ज़्वा (हमला) करेगा उस ने अपने लिए जन्नत वाजिब कर ली
 ( صحیح بخاری: 2924) 
मुहल्लब रहिमहुल्लाह फ़रमाते है:
इस हदीष में मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु की मनक़बत (ता'रीफ़) है क्यूंकि इस उम्मत में सबसे पहले इन्होंने ही समुंदर के रास्ते ग़ज़्वा (लड़ाई) किया है
( فتح الباری:6/102)
(6) इब्न अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा ने मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु के बारे में फ़रमाया: बेशक वह फ़क़ीह है صحیح بخاری:3765)
हाफ़िज़ इब्न हजर 'अस्क़लानी रहिमहुल्लाह फ़रमाते है: मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु की फ़क़ाहत और सोहबत ए नबी के बाबत इब्न अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा की खुली गवाही मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु के कसीर फ़ज़ाइल पर दलालत करतीं हैं 
(فتح الباری: 7/104)
इब्न अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा ने उन की सताइश (ता'रीफ़) में मज़ीद फ़रमाया: मैंने बादशाहत व उमूर इक़्तिदार के लिए मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु से ज़ियादा मौज़ूँ (मुनासिब) शख़्स नहीं देखा 
( مصنف عبدالرزاق: 20985)
(7) और जब इमाम अब्दुल्लाह बिन मुबारक से पूछा गया कि कौन अफ़ज़ल हैं उमर बिन अब्दुल अजीज रहिमहुल्लाह या मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु ? तो फ़रमाया: अल्लाह की क़सम अल्लाह के रसूल ﷺ के साथ ग़ज़्वा (लड़ाई) करते हुए जो गर्द (धूल) मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु की नाक में उड़ कर गई वो उमर बिन अब्दुल अजीज से हज़ार-गूना बेहतर है
( وفیات الاعیان لابن خلکان:3/33)
(8) आ'मश रहिमहुल्लाह की मजलिस में उमर बिन अब्दुल 'अज़ीज़ और उन के 'अदल-ओ-इंसाफ़ का ज़िक्र छिड़ा तो फ़रमाया: अगर तुम ने मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु का दौर-ए-हुकूमत पाया होता तो तब तुम क्या कहते ? लोगों ने कहा: 
ऐ अबू मोहम्मद (आ'मश रहिमहुल्लाह की कुन्नियत) आप हिल्म व बुर्द-बारी में मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु की ता'रीफ़ कर रहे हैं ?
(और उन्हें उमर बिन अब्दुल अजीज पर फ़ौक़ियत (तरजीह) दे रहे हैं) फ़रमाया: नहीं अल्लाह की क़सम मैं इंसाफ़ व दाद-रसी में मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु की ता'रीफ़ कर रहा हूं और उन्हें उमर बिन अब्दुल अजीज पर फ़ौक़ियत दे रहा हूं
 ( السنۃ للخلال:1/437)
(9) उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु को मुल्क-ए-शाम का अमीर मुकर्रर फ़रमाया इसी तरह आप उस्मान रज़ियल्लाहु अन्हु के
दौर-ए-ख़िलाफ़त में भी शाम के अमीर रहे
इमाम ज़हबी रहिमहुल्लाह फ़रमाते है: इस शख़्सियत की क़द्र-ओ-मंज़िलत का क्या कहना जिसे उमर बिन खत्ताब ने अमीर मुकर्रर फ़रमाया फिर उस्मान बिन अफ्फान ने एक ऐसे 'इलाक़ा पर जो दुश्मन की सरहद से मिलता हो और वो (मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु) इस 'इलाक़ा को पूरी तरह अपने क़ाबू में रखता हो इस का बेहतरीन इंतिज़ाम ओ इंसिराम (व्यवस्था) करता हो और अपनी सख़ावत (उदारता) व नर्म-ख़ूई से लोगों को अपना गिरवीदा (आज्ञाकारी) बना लेता हो अगरचे बा'ज़ दफ़्'अ कुछ लोग नाराज़ भी हुए हो तो भी हुकूमत तो ऐसी ही होनी चाहिए गरचे (हालाँकि) दूसरे सहाबा किराम मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु से बहुत बेहतर,अफ़ज़ल और लाइक़ (ठीक) थे लेकिन इस शख़्स ने अपनी कमाल 'अक़्ल-मंदी (समझदारी) बे-इंतिहा (बेहद) बुर्द-बारी (गंभीरता) नफ़्स की कुशादगी ज़ीरकी (समझदारी) और मु'आमला-फ़हमी से लोगों पर और एक जहान (दुनिया) पर हुकूमत की
( سیر اعلام النبلاء: 5/128)
(10) अबू इसहाक़ सबीई कूफ़ी रहिमहुल्लाह फ़रमाते है: मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु ऐसे थे ऐसे थे और हम ने उन के बाद उन जैसा किसी को नहीं देखा 
( طبقات ابن سعد : 47)
(11) मशहूर मुफ़स्सिर ताबि'ई क़तादा रहिमहुल्लाह फ़रमाते है:
अगर तुम में से किसी के आ'माल मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु की तरह हो जाए तो तुम्हारी अकसरिय्यत कहेंगी यही महदी है
 ( السنۃ : 668)
(12) नामवर (मशहूर) मुफ़स्सिर ताबि'ई मुजाहिद रहिमहुल्लाह फ़रमाते है: अगर तुम ने मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु को देखा होता तो कहते यही महदी है 
( السنۃ : 669)
(13) मशहूर-ए-ज़माना (विश्वविख्यात) ताबि'ई हसन बसरी रहिमहुल्लाह से कहा गया: ऐ अबू सईद (हसन बसरी रहिमहुल्लाह की कुन्नियत) यहां कुछ लोग हैं जो मुआविया और अब्दुल्लाह बिन जुबैर रज़ियल्लाहु अन्हुमा को बुरा-भला कहते हैं या उन पर ला'नत भेजते हैं फ़रमाया: जो लोग उन हज़रात पर ला'न-ता'न करते हैं उन पर अल्लाह की ला'नत हो 
( تاریخ دمشق : 59/206)
(14) रबी बिन नाफ़े' हलबी रहिमहुल्लाह (ت 241ھ) फ़रमाते है: मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु नबी-ए-अकरम ﷺ के सहाबा ए किराम के लिए एक पर्दा है जब कोई शख़्स यह पर्दा उठा देता है तो वह दूसरे सहाबा ए किराम पर ला'न-ता'न की जुरअत करने लगता है
( البدایۃ و النہایۃ للخطیب : 8/ 139)

🔹........................🔹