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क़यामत के दिन किसकी सिफ़ारिश क़ुबूल की जाएगी | Qayamat ke din kiski sifarish qabul ki jayegi

क़यामत के दिन किसकी सिफ़ारिश क़ुबूल की जाएगी | Qayamat ke din kiski sifarish qabul ki jayegi



 वो शफ़ा'अत करने वाले जिन की शफ़ा'अत क़यामत के दिन क़ुबूल की जाएगी


❶ नबी-ए-करीम ﷺ की शफ़ा'अत (सिफ़ारिश)

  नबी-ए-करीम ﷺ ने फ़रमाया:
لِكُلِّ نَبِيٍّ دَعْوَةٌ قَدْ دَعَا بِهَا فَاسْتُجِيبَ، فَجَعَلْتُ دَعْوَتِي شَفَاعَةً لِأُمَّتِي يَوْمَ القِيَامَةِ.
तर्जमा: हर नबी को एक दु'आ दी गई जिस चीज़ की उसने दु'आ मांगी फिर उसे क़ुबूल किया गया लेकिन मैं ने अपनी दु'आ क़यामत के दिन अपनी उम्मत की शफ़ा'अत के लिए महफ़ूज़ रखी हुई है।
(सहीह बुख़ारी:6305, सहीह मुस्लिम:201)

❷ दीगर (अन्य) अंबिया-ए-किराम अलैहिस्सलाम की शफ़ा'अत:
  शफ़ा'अत (सिफ़ारिश) वाली लंबी हदीष में नबी-ए-करीम ﷺ ने फ़रमाया:
فيَقولُ اللَّهُ عزَّ وجلَّ: شَفَعَتِ المَلائِكَةُ، وشَفَعَ النَّبِيُّونَ..........
तर्जमा: फिर अल्लाह-त'आला फ़रमाएगा: फ़रिश्तों ने सिफ़ारिश की अंबिया ने सिफ़ारिश की।
(सहीह मुस्लिम:183)

❸ फ़रिश्तों की शफ़ा'अत:
  नबी-ए-करीम ﷺ ने फ़रमाया:
يُحمَلُ النَّاسُ على الصِّراطِ يَومَ القيامةِ، فَتَقادَعُ بهم جَنَبَتا الصِّراطِ تَقادُعَ الفَراشِ في النَّارِ، قالَ: فَيُنَجِّي اللهُ بِرَحمَتِهِ مَن يَشاءُ، قالَ: ثم يُؤْذَنُ لِلمَلائِكَةِ وَالنَّبِيِّينَ وَالشُّهَداءِ أنْ يَشفَعوا، فَيَشفَعونَ.
तर्जमा: लोगों को क़यामत के दिन पुल-सिरात के ऊपर लाया जाएगा और वो पुल के दोनों तरफ़ जहन्नम में ऐसे गिरेंगे जैसे परवाने आग में गिरते हैं फ़रमाया: फिर अल्लाह जिसे चाहेगा अपनी रहमत से बचा लेगा फ़रमाया: फिर फ़रिश्तों, अंबिया और शुहदा को शफ़ा'अत की इजाज़त दी जाएगी और वो शफ़ा'अत करेंगे।
 [المسند لشعيب: 20440 صححه شعيب الأرناؤوط]

❹ शुहदा (शहीद) की अपने अहल-ए-ख़ाना और रिश्तेदारों के लिए शफ़ा'अत
  नबी-ए-करीम ﷺ ने फ़रमाया:
يُشَفَّعُ الشَّهِيدُ فِي سَبْعِينَ مِنْ أَهْلِ بَيْتِهِ
तर्जमा: शहीद की सिफ़ारिश अपने घराने के सत्तर (70) अफ़राद के हक़ में क़ुबूल की जाएगी।
(सहीह अल-जामे':8093)

❺ औलाद की वालिदैन (मां-बाप) के लिए शफ़ा'अत:
  नबी-ए-करीम ﷺ ने फ़रमाया:
مَا مِنْ النَّاسِ مِنْ مُسْلِمٍ يُتَوَفَّى لَهُ ثَلَاثٌ لَمْ يَبْلُغُوا الْحِنْثَ إِلَّا أَدْخَلَهُ اللَّهُ الْجَنَّةَ بِفَضْلِ رَحْمَتِهِ إِيَّاهُمْ
तर्जमा: किसी मुसलमान के अगर तीन बच्चे मर जाए जो बुलूग़त (जवानी) को न पहुंचे हो तो अल्लाह-त'आला इस रहमत के नतीजे में जो उन बच्चों से वो रखता है मुसलमान (बच्चे के बाप और मां) को भी जन्नत में दाख़िल करेगा।
(सहीह बुख़ारी:1248)

❻ मोमिनीन का एक दूसरे के लिए शफ़ा'अत:
  नबी-ए-करीम ﷺ फ़रमाया:
مَا مِن مَيِّتٍ تُصَلِّي عليه أُمَّةٌ مِنَ المُسْلِمِينَ يَبْلُغُونَ مِائَةً، كُلُّهُمْ يَشْفَعُونَ له؛ إلَّا شُفِّعُوا فِيهِ.
तर्जमा: कोई भी (मुसलमान) मरने वाला जिस की नमाज़-ए-जनाज़ा मुसलमानों की एक जमा'अत जिन की ता'दाद (संख्या) सौ तक पहुंचती हो अदा करे वो सब उसकी सिफ़ारिश करें तो उस के बारे में उन की सिफ़ारिश क़ुबूल कर ली जाएगी।
(सहीह मुस्लिम:947)

❼ रोज़े और क़ुरआन की शफ़ा'अत:
  नबी-ए-करीम ﷺ ने फ़रमाया:
الصِّيَامُ وَالْقُرْآنُ يَشْفَعَانِ لِلْعَبْدِ يَوْمَ الْقِيَامَةِ. يَقُوْلُ الصِّيَامُ: أَيْ رَبِّ! مَنَعْتُهُ الطَّعَامَ والشَّهَوَاتِ بِالنَّهَارِ فَشَفِّعْنِي فِيْهِ. وَيَقُوْلُ الْقُرْآنُ: مَنَعْتُهُ النَّوْمَ بِاللَّيْلِ فَشَفِّعْنِي فِيْهِ، قَالَ: فَيُشَفَّعَانِ.
तर्जमा: रोज़े और क़ुर'आन-ए-मजीद क़यामत के दिन बंदे के लिए शफ़ा'अत करेंगे रोज़े 'अर्ज़ (गुज़ारिश) करेंगे ऐ रब मैंने इसे दिन के वक़्त खाने और शहवत करने से रोके रखा पस (फिर) तू इस के हक़ में मेरी शफ़ा'अत क़ुबूल फ़रमा क़ुरआन 'अर्ज़ (गुज़ारिश) करेगा मैंने इसे रात के वक़्त नींद से बेदार रखा पस (फिर) तू इस के हक़ में मेरी शफ़ा'अत क़ुबूल फ़रमा आप ﷺ ने फ़रमाया: दोनों की शफ़ा'अत क़ुबूल की जाएगी।
(सहीह मुस्लिम:183)


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लेखक: अब्दुल रहमान फ़ैजुल्लाह

हिंदी अनुवाद: अब्दुल मतीन सैयद

qurbe qayama

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*सहीह बुखारी शरीफ*

*किताबुज्ज़कात*

*जकात के बयान में*

             *हदीस नंबर 1414*


 *बाब:--- आग से बचो अगरचे खुजूर का टुकड़ा और थोड़ा सा सदका ही क्यों न हो।*

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*अबू मूसा अशअरी रजि. से रिवायत है, वह नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से बयान करते हैं कि आपने फरमाया, लोगों पर एक वक्त आयेगा जिसमें आदमी खैरात का सोना लिये गश्त लगायेगा, मगर कोई लेने वाला नहीं मिलेगा। और देखने में आयेगा कि एक मर्द के पीछे चालीस चालीस औरतें फिरेगी कि वह उन्हें अपनी पनाह में ले ले। दरअसल यह इस बिना पर होगा कि मर्द कम हो जायेंगे और औरतें ज्यादा होगी।*

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वजाहत :-- *कयामत के करीब औरतों की शरह पैदाईश में इजाफा हो जाएगा और मर्द कम पैदा होंगे या लडाईयां इतनी ज्यादा होगी कि मर्द मारे जायेंगे और औरतों की तादाद ज्यादा होगी।*

(औनुलबारी, 2/411)

 
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Zaib tan kapro ka hisab

🌷بسم اللہ الرحمن الرحیم 🌷
ZAIB TAN KAPRO KA HISAAB

Question :
Kia yh darust hai k qayamat k din k zaib tan kapro ka insan sy hisaab lia jayega?
Answer :
Haan admi sy is k maal k muta'aliq sawaal kia jayega k is ny woh kahan sy kamaya aur kahan kherch kia? jaisa k hadis shareef mai aya hai.
Hazrat Abu Burzah Aslama R.A. ki ravayat mai hai k Rasool Allah ny irshad farmaya: "qayamat waly din kisi bandy k qadam apni jagah sy mil na saken gey hatta k is sy poch lia jaye (bata to ny) apni umer kin kamo mai guzari? apny ilm k mutabiq amal kitna kia? to ny maal kaha sy kamaya aur kahan kherch kia? aur apni jawani kahan basar ki ?" [Jamia at'tramzi' hadis:2417.]
Shaikh ibn Baz
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MAKTABA AL FURQAN SAMI GUJARAT 9998561553
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QAYAMAT K ROOZ JAZA WA SAZA DENE KA IKHTAYAAR SIRF ALLAH TA'ALA HI KO HOGA

QAYAMAT K ROOZ JAZA WA SAZA DENE KA IKHTAYAAR SIRF ALLAH TA'ALA HI KO HOGA

✏"Allah ta'ala kafiro k muamaley mein Nooh Alaihis Salaam aur Loot Alaihis Salaam ki beewiyo ko bataur misaal paish karta hai wo hamare 2 saaleh bando ki zojiyat mein thi magar unhone apne un shoharo se khayanat ki (yaani kafiro se saaz baaz ki) aur wo dono (yaani Nooh Alaihis Salaam aur Loot Alaihis Salaam) Allah ta'ala k muqabaley mein un (beewiyo) k kuch bhi kaam na aa sakey dono se keh diya gaya k jao aag mein jaane walo k saath tum bhi (aag mein) chali jao".

(Surah Tahreem Surah no. 66 Ayat no. 10)

✏Hazrat Abu Hurairah Razi Allahu Anhu se riwayat hai k Rasool E Akram Sallallahu Alaihi Wa Sallam par jab (quran majeed ki) ye aayat nazil hui "Ae Muhammad Sallallahu Alaihi Wa Sallam! apne rishtedaaro ko (qayamat se) darao to Aap Sallallahu Alaihi Wa Sallam ne khade ho kar farmaya Ae quraish k loogo! ya aesa hi koi jumla kaha, apni jaaney bachao (qayamat k din) Allah ta'ala k saamne mein tumhare kisi kaam nahi aa sakunga ae abd e Munaaf k baito! (qayamat k rooz) Allah ta'ala k saamne mein tumhare kisi kaam nahi aa sakunga ae Abbas bin Abdul Muttalib mein Allah ta'ala k saamne tumhare kisi kaam na aa sakunga Ae Safeeya Rasool Allah Sallallahu Alaihi Wa Sallam k phoopi! mein Allah ta'ala k saamne tumhare kisi kaam nahi aa sakunga aur ae Fatima binte Muhammad Sallallahu Alaihi Wa Sallam! (dunya mein) mere maal se jo chaho maanglo (lekin qayamat k rooz) Allah ta'ala k saamne tumhare kisi kaam nahi aa sakunga".

(Sahih Bukhari Kitabut Tafseer)