📘 जवाब :
🍂 बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम 🍂
✨ सदक़ातुल-फ़ितर को ज़कातुल-फ़ितर भी कहा जाता है।
✔ इब्ने ‘उमर, रज़ि अल्लाहू अन्हु ने फ़रमाया:
“नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सदक़ा-फ़ितर "1 सा" खजूर या "1 सा जौं" फ़र्ज़ क़रार दी थी। ग़ुलाम, आज़ाद, मर्द औरत, छोटे-बड़े हर मुस्लमान पर, आपका हुक्म यह था के नमाज़ ईद को जाने से पहले ये अदा किया जाये।"
📙(सही बुख़ारी : 1503)
🔴 1 सा = ❓ KG :
💥 आज के दौर मे, 1 सा = 2.5 किलो।
अपने अपने मुल्क मे, आप जो चीज़े रोज़ मर्रा की ज़िंदगी मे अनाज (फूड) के तौर पर खाते हो वो अनाज जैसे चावल या गेहूं या जौं वो 2.5 किलो के बराबर फ़ित्र मे दे सकते हो।
🔴 सदक़ा-फ़ितर के फ़र्ज़ होने की हिकमत :
1. ये रोज़ेदार को रोज़े की हालत मैं होने वाले फ़हश या फ़ालतू गुफ़्तगु से पाक करता है,
2. ग़रीबो को ईद के दिन दूसरों से माँगने से बचाता है।
✔ इब्ने अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हु से मरवी है के रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सदक़ा-फ़ितर को इसलिए फ़र्ज़ फ़रमाया है ताकि रोज़ेदार फ़हश और फ़ालतू गुफ़्तगु से पाक हो जाये और मिस्कींनों को खाने का सामान मिल सके।
📙(सुनन इब्ने माजाह : 1827)
🔴 सदक़ा अल-फ़ितर किस पर वाजिब (फ़र्ज़) है❓
1⃣ एक शख़्स को अपने, अपनी बीवी की तरफ़ से (चाहे बीवी की ख़ुद की भी दौलत हो) अपने बच्चे और मां बाप अगर वो ग़रीब हों अपनी बेटी की तरफ़ से सदक़ा फ़ितर अदा करना है।
2⃣ अगर बेटा अमीर है तो उसकी तरफ़ से बाप को अदा करने की ज़रूरत नहीं।
3⃣ शौहर को अपनी तलाक़ शुदा बीवी जिसके तलाक़ की इद्दत मुकम्मल नहीं हुई उसकी तरफ़ से भी अदा करना होगा, लेकिन सरकश या जिसका तलाक़ मुकम्मल हो गया उसकी तरफ़ से अदा नहीं करना है।
4⃣ बेटे को अपने ग़रीब बाप की बीवी की तरफ़ से अदा करने की ज़रूरत नहीं क्यों के इसपर ख़र्च करना वाजिब नहीं।
🔴 सदक़ा फ़ितर के तोर पे क्या अदा करना चाहिए❓
एक सा' अनाज देना चाहिए नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पैमाने के मुताबिक़।
✔ अबू सईद अल-ख़ुदरी रज़ि अल्लाहू अन्हु ने फ़रमाया: "रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ज़माने में सदक़ा फ़ितर एक सा' गेहु, या एक सा' खजूर, या एक सा' जौं या एक सा' ज़बीब (ख़ुश्क अंजीर या अंगूर) निकालते थे..."।
📙 (बुख़ारी : 1506)
📜 शेख-उल-इस्लाम इब्ने तैमियाह ने भी यही बात को सही माना के हम ज़कात उल फ़ितर को किसी भी मक़ामी अनाज की शक्ल में अदा कर सकते हैं।
👉 यानी हम ये पता चलता है के हम ज़कात्तुल फ़ितर किसी भी अनाज की शक्ल में दे सकते हैं।
🔴 क्या हम सदक़ा फ़ितर पैसौ (नक़द) मैं दे सकते हैं❓
सदक़ा-फ़ितर पैसौ (नक़द) की शक्ल में नहीं दे सकते क्यों के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इसे अनाज की शक्ल में देने का हुक्म दिया है। इसलिये किसी और शक्ल में देना ग़लत है, सुन्नत की इत्तेबा करे और बिदअत से बचे।
🔴 सदक़ा फ़ितर देने का वक़्त:
हदीस के मुताबिक़ सदक़ा फ़ितर ईद की नमाज़ से पहले पहले देना चाहिए।
✔ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हुक्म दिया के ये (सदक़ा फ़ितर) नमाज़ ईद को जाने से पहले इसे अदा किया जाए।
📙(बुख़ारी : 1503, अबु दाऊद :1609)
🔴 ईद की नमाज़ से 1 या 2 दिन पहले सदक़ा फ़ितर अदा करना:
✔ इब्न उमर रज़ि अल्लाहू अन्हु रिवायत करते हैं
"वो लोग ईद से 1 या 2 दिन पहले भी सदक़ा फ़ितर अदा किया करते थे"।
📙(सही बुख़ारी : 1511)
🔴 ईद की नमाज़ के बाद सदक़ा फ़ितर अदा करना, सदक़ा ए फ़ितर नहीं बल्कि आम सदक़ा होगा:
✔ अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हु रिवायत करते है की मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ”ईद की नमाज़ के बाद अगर सदक़ा फ़ितर अदा किया जाए तो ये आम सदक़ा माना जाएगा सदक़ा फ़ितर अदा नहीं होगा।
📙 (अबु दाऊद : 1609)
🔴 सदक़ा फ़ितर किसे देना चाहिए❓
✔ सदक़ा फ़ितर भी उन्ही 8 क़िस्म के लोगो को दिया जाएगा जिन्हें ज़कात दी जाती है।
1. फ़ुक़ारा (ग़रीब)
2. अल मसाकिन
3. जो लोग सदक़ा जमा करते है
4. जिनके दिल इस्लाम की तरफ़ राग़िब है
5. ग़ुलाम आज़ाद करने के लिए
6. कर्ज़दारो का कर्ज़ अदा करने के लिए
7. जो लोग अल्लाह की राह मे निकलते है (मुजाहिदीन)
8. मुसाफ़िरो के लिए
📙(सुरह 09 तौबा : 60)
वल्लाहु आलम सवाब