Showing posts with label क्रिमिनल लॉ " में " पर्सनल लॉ " की मांग क्यूं नहीं ?. Show all posts
Showing posts with label क्रिमिनल लॉ " में " पर्सनल लॉ " की मांग क्यूं नहीं ?. Show all posts

क्रिमिनल लॉ " में " पर्सनल लॉ " की मांग क्यूं नहीं

" क्रिमिनल लॉ " में " पर्सनल लॉ " की मांग क्यूं नहीं ?
=================

टीवी चैनलों पर एक सवाल बार-बार (कई बार) उठाया जा रहा है कि जो मुसलमान "फ़ैमिली लॉ" में "पर्सनल लॉ" की बात करते हैं वो " क्रिमिनल लॉ " में अपने लिए "पर्सनल लॉ" या'नी इस्लामी क़वानीन (कानून) की मांग क्यूं नहीं करते मसलन (जैसे) मुसलमान यह मुतालबा (अनुरोध) क्यूं नहीं करते कि जब मुसलमान चोरी करे तो उस का हाथ काट दिया जाए,

इस का एक जवाब यह भी है कि:
इस्लाम में " क्रिमिनल लॉ " "पर्सनल लॉ" होता ही नहीं है बल्कि (किंतु) वो
" कॉमन-लॉ " होता है,
मसलन (जैसे) इस्लाम में चोरी की सज़ा हाथ काटना है तो यह सज़ा सिर्फ़ मुसलमान के लिए नहीं है
बल्कि (किंतु) इस्लामी हुकूमत (राष्ट्र) में मुसलमान या ग़ैर-मुस्लिम जो भी चोरी करेगा जुर्म (अपराध) साबित होने पर बिला-तफ़रीक़ (भेद-भाव के) दीन-ओ-मज़हब हर चोर का हाथ काट दिया जाएगा
लेकिन इस्लाम में जो " फ़ैमिली-लॉ " है मसलन (जैसे कि) तलाक़ (divorce) ख़ुल' (मुसलमान स्त्री का अपने पति से तलाक़ लेना) 'इद्दत, विरासत वग़ैरा (आदि) के क़वानीन (कानून) तो यह " पर्सनल लॉ " हैं या'नी (अर्थात) यह सिर्फ़ (केवल) मुसलमानों के लिए है ग़ैर-मुस्लिम के लिए नहीं हैं ख़्वाह (चाहे) यह ग़ैर-मुस्लिम इस्लामी हुकूमत (राष्ट्र) ही के ज़ेर-ए-साया (पनाह में) रह रहा हो,

'अलावा-बरीं (इसके सिवा) इस्लाम के " फ़ैमिली-लॉ " अपने नफ़ाज़ व ता'मील (अनुपालन) में इस्लामी हुकूमत से मशरूत (सीमित) नहीं है
बल्कि (किंतु) हर मुसलमान मर्द और औरत उन पर 'अमल (पालन) करने का पाबंद है ख़्वाह (चाहे) इस्लामी हुकूमत (राष्ट्र) में हो या उस से बाहर हो,
जबकि (यदि) इस्लाम के " क्रिमिनल लॉ " (इस्लामी सीमाएं) अपने नफ़ाज़ व इजरा (जारी करने) में इस्लामी हुकूमत और इस्लामी तरीक़ा-ए-कार (न्याय, भरोसे-मंद गवाह और भरोसे-मंद सुबूत) के साथ मशरूत (सीमित) हैं लिहाज़ा (इसलिए) जब इस्लामी हुकूमत ही नहीं है तो इस्लाम के " क्रिमिनल लॉ " (इस्लामी सीमाएं) के नफ़ाज़ (लागू करने) का मुतालबा (demand) बनता ही नहीं है,

लेखक: किफ़ायतुल्लाह सनाबिली

हिंदी अनुवाद: अब्दुल मतीन सैयद

🔹..........................🔹