JAIN DHARAM AUR HAJARAT MOHAMMAD S.A.W

PART 6

जैन धर्म और हज़रत मुहम्मद (सल्ल.)
डॉ. पी. एच. चौबे ने लिखा है—
‘‘मैं मुहम्मद (सल्ल.) को कल्कि अवतार मानता हूं। पुराणों में इस अवतार (पैग़म्बर) का वर्णन है। कहा गया है कि कल्कि अवतार बुद्धावतार के बाद होगा, जिसका जन्म शम्भल नामक नगर में एक पुजारी परिवार में होगा, उसकी सवारी घोड़ा और हथियार तलवार होगा। वह सम्पूर्ण पृथ्वी पर अपने सत्य धर्म की विजय करेगा।                 (विस्तृत विवरण के लिए देखें कल्कि पुराण)
जैन धर्म के ग्रंथकारों ने भी कल्कि अवतार का वर्णन किया है और उसके आने का काल महावीर स्वामी ने निर्वाण के एक हज़ार वर्ष बाद माना है। महावीर स्वामी के निर्वाण का वर्ष प्रायः 571 ई.पू. निश्चित किया जाता है। इस प्रकार एक हज़ार वर्ष बाद कल्कि अवतार का आगमन होता है। हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) का जन्मकाल वही वर्ष पड़ता है जो कल्कि अवतार के आने का काल है। कल्कि अवतार की अन्य विशेषताएं और उसके गुण हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) से साम्यता रखते हैं। एक प्रसिद्ध जैन लेखक जिसने अपने ग्रंथ  हरिवंश पुराण में लिखा है कि महावीर के निर्वाण के 605 वर्ष 5 माह बाद शक राज का जन्म हुआ तथा गुप्त संवत 231 वर्ष के शासन के बाद कल्कि अवतार का जन्म हुआ। इस आशय का श्लोक इस प्रकार है—
‘‘गुप्तानां चश्त दूयम।
एक विंवश् च वर्षाणि कालविद् भिरुदा हृतम ।। 490 ।।
चित्वा रिंश देवातः कल्किराजस्य राजता।
ततोड जिटंजयों राजा स्यादिन्द्रपुर संस्थितः ।। 491 ।।

जिनसेन कृत हरिवंश पुराण अ. 60
दूसरे जैन ग्रंथकार गुणभद्र ने उत्तर पुराण में लिखा है कि महावीर निर्वाण के 1000 वर्ष बाद कल्किराज का जन्म हुआ। (Indian Antiquary Vol. X V.V. 143)
तीसरे जैन ग्रंथकार नेमिचंद्र अपने ग्रंथ ‘त्रिलोकसागर’ में लिखते हैं, ‘‘शकराज निर्वाण के 605 वर्ष 5 माह बाद तथा शककाल से 394 वर्ष 7 माह पश्चात कल्कि राज पैदा हुआ।’’ इस ग्रंथ में इस भाव का वाक्य है—

‘‘पणछस्सयं वस्संपण मासजदं गमिय वीर णिवुइ दो।
सगराजो सो कल्कि चतुणवतिय महिप सगमासं।।’’
-त्रिलोकसार, पृ. 32
इस प्रकार ऐसा लगता है कि हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) वही थे, धर्माचायों ने जिनके बारे में बताया।
सचमुच जिस प्रकार जब तक एक शासक शासन करता है तब तक उसके द्वारा बताए नियम का पालन जनता करती है, परन्तु उसके शासन के समाप्त होते ही दूसरे शासक के आदेशों को लोग शिरोधार्य करते हैं, ठीक उसी प्रकार जब तक जिस शास्ता, अवतार, पैग़म्बर का काल रहता है उसकी आज्ञाओं-उपदेशों का फैलाव होता है परन्तु उसके उपदेशों में विकृति आते ही ईश्वर की तरफ़ से जब दूसरा पैग़म्बर, अवतार आता है तो उसका शासन चलता है। इस लिहाज़ से आज हम हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) अन्तिम ‘रसूल’ अथवा आख़िरी अवतार ‘कल्कि’ के ‘शासन काल’ में हैं और अब प्रलय (क़ियामत) तक उनका शासन रहेगा, जिनका प्रमाण पुराण, कुरआन और अन्य ग्रन्थ दे चुके हैं। अतएव हमारे लिए अन्तिम शास्ता (हज़रत मुहम्मद) के ही ‘शासन’ में रहकर आपके उपदेशों व आचारों का अनुगमन करना ही आध्यात्मिक और व्यावहारिक दोनों पक्षों से उचित है। इससे हमारा संसार व परलोक दोनों सुधर सकता है।
अतः अंतिम संदेष्टा, पैग़म्बर, ‘कल्कि अवतार’ हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के उपदेशों का अनुगमन ही आपके प्रति सही एवं सच्चे अर्थों  में श्रद्धा-अर्पण होगा। यही ईश समर्पण के लिए सच्चा मार्ग होता है।’’1
1.कान्ति मासिक (दिल्ली), जुलाई 1997, पृ. 33-34

🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
NON MUSLIM BROTHER AND SISTER KE LIYE FREE GUJARATI QURAN CONTACT KIJYE MAKTABA AL FURQAN SAMI 9998561553. .
🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹

No comments:

Post a Comment