ALLAH KAUN HAI ?
अल्लाह कौन है?
हम अल्लाह के बारे में सिर्फ और सिर्फ अल्लाह से है जान सकते हैं। और यह दो रास्तों से ही संभव है:
पहला: उन आयातों से जिन्हें अल्लाह ताला ने अपनी पुस्तक कुरान मजीद में रहस्योद्घाटन किया और नबी सल्लालाहू अलैहि वसल्लम के शब्दों में जो उन्होंने हमें अल्लाह के बारे में बताया।
दूसरा: अल्लाह ताला के पैदा किये हुवे प्राणियों से उस कई बनाये हुवे इस संपूर्ण जगत से ।
इन दो मार्गों से हमें अल्लाह की महानता उस की एकता रुबुबियत उलुहियत और उस के नामों में पता चलती है । और कुरान मजीद इन जैसी आयातों से भरी हवी है रही बात छंद ब्रह्मांडीय की तो यह जगत खुली किताब है सरे मानुष इसे किसी भी भाषा में पढ़ सकते हैं और हर तरह के निवासियों इसे अपनी भुद्धि द्वारा पढ़ और समझ सकता है ।
सूचि
अल्लाह शब्द का मूल
अल्लाह का अस्तित्व और उसकी विशेषताएँ
परमेश्वर की क्षमता और उनकी महानता के सबूत
अल्लाह के खोज की यात्रा
उसकी रचनाएँ उसका पता देती हैं
यदि आप उसे पहचानना चाहते हैं... तो दरवाज़े पर दस्टाक दीजिये
और देखें
संदर्भ
अल्लाह शब्द का मूल
“अल्लाह”शब्द का मूल अरबी है lइस्लाम से पहले अरबों द्वारा इस नाम का प्रयोग रहा हैlऔर “अल्लाह”का शब्द परमेश्वर सर्वशक्तिमान के लिए बोला जाता था जिसका कोई साझेदार नहीं है lइस्लामी अवधि से पहले अज्ञानता के समय में अरब उसपर ईमान रखते थे, लेकिन वे अन्य देवताओं को भी उसके साथ साथ पूजते थे और कुछ लोग उसकी उपासना में मूर्तियों को भी शामिल किया करते थे l
अल्लाह का अस्तित्व और उसकी विशेषताएँ
(विश्वासियों और नास्तिक दोनों) बल्कि सारे लोगों के बीच इस बात पर एकमत होना संभव है कि अल्लाह के अस्तित्व और विशेषताओं की सच्चाई तक पहुंचने के लिए एक ही रास्ता है और वह है शुद्ध वैज्ञानिक तर्क का रास्ता lक्योंकि इस बात से हर कोई सहमत हैं कि हर काम के लिए कोई न कोई करनेवाला होता है और हर चीज़ के लिए कोई न कोई कारण होता है lइस से कोई चीज़ बाहर नहीं हैlकोई भी चीज़ बिना कारण या ऐसे ही नहीं हो जाती है lकोई न कोई कारण या कोई न कोई वजह ज़रूर होती है lइसके लिए उदाहरण अनगिनत हैं जो सभी जानते हैं lऔर पूरा ब्रह्माण्ड अपने सभी जीवित या निर्जीव, स्थिर और चलनेवाली चीज़ों और वस्तुओं के साथपहले नहीं था फिर हुआ lतर्क और विज्ञान दोनों इस बात की पुष्टि करते हैं कि कोई ऐसा अस्तित्व है जिसने ब्रह्मांड को बनाया है lचाहे उसका नाम अल्लाह हो या निर्माता या सिरजनहार या सृष्टा lइस से उसकी वस्तुता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है lइसलिए पूरा ब्रह्मांड अपनी सारी चीजों के साथ एक निर्माता के होने पर साफ़ प्रमाण है l
और इस रचयिता के गुणों की पहचान उसकी रचनाओं, कामों और आविष्कारों के अध्ययन और उनमें चिंतन और विचार के माध्यम से होती है lउदाहरण के लिए एक पुस्तक को ही ले लीजिए जो लेखक के ज्ञान और अनुभव और संस्कृति, और उनकी शैली, उनकी सोच और उनके करने की शक्ति और विश्लेषण करने की क्षमता का पता देती है lइसी तरह सारी चीज़ें अपने अपने निर्माता की विशेषताओं के बारे में एक व्यापक विचार देती है lयदि लोग ब्रह्मांड और उसकी प्राणियों और उसकी रचनाओं के बारे में भी इसी वैज्ञानिक तर्क का उपयोग करें तो रचयिता और सिरजनहार की विशेषताओं की जानकारी तक पहुँच सकते हैं lसमुद्र और प्रकृति की सुंदरता, कोशिकाओं की बारीकी और उनकी विशेषताएं, ब्रह्मांड के संतुलन और उसके चलने का सिस्टम, इन तथ्यों के बारे में मानव विज्ञाननेजो कुछ भी सामने लाया है यह सब के सब सिरजनहार की महानता और निर्माता के ज्ञान और बुद्धि का संकेत देते हैं l
चाहे लोग संसार को पैदा करने के कारण के विषय में सहमत हो सकें या न हो सकें, और जीवन में कठिनाइयों और दर्द के पाए जाने के पीछे कारण के विषय में सहमति हो या न हो लेकिन इससे वह परिणाम प्रभावित नहीं होता है जो सही वैज्ञानिक तर्कके द्वारा निकला है कि एक अस्तित्व है जो रचयिता, महान, जानकार, ज्ञानी और बुद्धिमान है और उसीको मुसलमान लोग “अल्लाह” कहते हैं l
परमेश्वर की क्षमता और उनकी महानता के सबूत
अल्लाह सर्वशक्तिमान ने नास्तित्व से अपने उपासकों को पैदा किया और उन्हें अपने उपहारों से सम्मानित किया, और उनसे पीड़ा और विपरीत परिस्थितियों को टाला, और शुद्ध हृदय सदा उस से प्यार करता है और चाहता है जो उसे सहायता देता है और उस पर कृपा करता है lऔर आत्माओं को अपने पालनहार को पहचानने की ज़रूरत भोजन और पानी बल्कि सांस से भी अधिक हैlऔर न ही इस दुनिया में कोई खुशी मिल सकती है और न आखिरत का कोई सुख मिल सकता है मगर उसकी परिचय, प्यार और पूजा के माध्यम से ही lऔर जो उसे ज़ियादा जानते हैं वही सबसे ज़ियादा उसपर विश्वास रखते हैं और वे अधिक से अधिक उसकी पूजा करते हैं, याद रहे कि हार्दिक उपासना शारीरिक उपासना से अधिक महत्वपूर्ण, क्योंक हार्दिक उपासना अधिक देर तक रहनेवाली और अधिक बेहतर है lऔर हार्दिक उपासना तो हर समय आवश्यक है और शारीरिक उपासना तो वास्तव में हृदय को ही शुद्ध करने के लिए अनिवार्य हुई है ताकि अल्लाह की उपासना भी हो और दिल भी शुद्ध रहे l
इब्न अल-क़य्यिम -अल्लाह उनपर दया करे- इस विषय में कहते हैं: "अल्लाह अपने बन्दे को उसी दर्जा पर रखता है जहां बन्दा ख़ुद अपने को रखता है lऔर जब दास अपने पालनहार को पहचान लेता है तो उस से उसके हृदय को शांति मिल जाती है और उसकी आत्मा को चैन मिल जाता है lऔर जिसे अल्लाह के बारे में और उसके गुण के बारे में अधिक जानकारी होगी तो उसका विश्वास अधिक स्वस्थ और मजबूत होगा और ऐसा व्यक्ति उससे ज़ियादा डरनेवाला होगा l
और लोगों में सब से पूर्ण रूप से उसकी उपासना वही करता है जो अल्लाह सर्वशक्तिमान को उसके सभी पवित्र नामों और विशेषताओं पर ध्यान रख कर श्रद्धा और तपस्या करता हैlऔर अल्लाह -सर्वशक्तिमान- के बहुत सारे सुंदर नाम हैं lउसके सारे नामों से प्रशंसा ही प्रशंसा और स्तुति ही स्तुतिटपकती है और बड़ाई ही बड़ाई झलकती है l इसी तरह उसके सरे गुण उत्तम, बड़े और संपूर्ण हैं l
पैगंबर हज़रत मुहम्मद -उन पर इश्वर की कृपाऔर सलाम हो- जब रुकू के लिए नमाज़ में झुकते थे तो यह शब्द कहा करते थे :
)سبحان ذي الجبروت والملَكوت والكبرياء والعَظَمة(
(पवित्रता है उसके लिए जो शक्तिशाली, बड़ाईवाला, राज्यपाल, और शान रखनेवाला है l) (इसे नसाई ने उल्लेख किया है)
जी हाँ, हर गुण में वही पूर्ण है पैगंबर हज़रत मुहम्मद -उन पर इश्वर की कृपाऔर सलाम हो- ख़ुद कहा करते थे:
)لا أُحصِي ثناءً عليك، أنت كما أثنيتَ على نفسك(
(मैं वैसी गिन गिन कर तेरी प्रशंसा नहीं कर सकता जिस तरह तूने ख़ुद अपनी प्रशंसा की है l) (इसे मुस्लिम ने उल्लेख किया है l)
आकाशों और धरती के सभी प्राणी अल्लाह सर्वशक्तिमान का गुण गाते हैं और हर दोष और कमी से उसे पाक ठहराते हैं, जैसा कि अल्लाह सर्वशक्तिमान ने फ़रमाया :
)سَبَّحَ لِلَّهِ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ(
(अल्लाह की तसबीह की है हर उस चीज़ ने जो आकाशों और धरती में है l)[अल-हश्र: १] और सबके सब उसी के लिए सजदा में झुकते हैं lजैसा कि अल्लाह सर्वशक्तिमान ने शुभ क़ुरआन में फ़रमाया :
)وَلَهُ أَسْلَمَ مَنْ فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ طَوْعًا وَكَرْهًا)
(हालाँकि आकाशों और धरती में जो कोई भी है, स्वेच्छापूर्वक या विवश होकर उसी के आगे झुका हुआ है।)[आले-इमरान: ८३]
पैदा करने और आदेश चलाने का अधिकार केवल अल्लाह सर्वशक्तिमान के हाथ में ही है, जो भी बनाया है ख़ूब महारत से बनाया और जो भी पैदा किया है बिल्कुल अनोखा पैदा किया और सारी रचनाओं को हिसाब से पैदा किया । याद रहे अल्लाह सर्वशक्तिमान ने आकाशों और पृथ्वी को पचास हज़ार साल में बनाया(स्प्ष्ट रहे कि अल्लाह सर्वशक्तिमान तो “हो जा”कह कर यह सब को बना सकता था लेकिन वास्तव में अल्लाह सर्वशक्तिमान ने ऐसा इसलिए किया ताकि लोगों को यह पाठ मिल जाए कि कामों को आराम से करना चाहिए जल्दी जल्दी नहीं करना चाहिए ।) और अल्लाह सर्वशक्तिमान का शासन शासन है उस में किसी को साझेदारी नहीं है, उसके निर्णय को कोई रोकने और टालनेवाला नहीं है । और न उसके फैसले पर कोई उसका पकड़ करनेवाला है वह सदा से जीवित है और अमर है सारी रचना उसके हाथ के नीचे और उसके क़ब्ज़े में है । वही उन्हें मारता और जिलाता है, वही उन्हें रुलाता और हंसाता है, वही उन्हें ग़रीब और धनवान करता है। और जैसा चाहता है उन्हें गर्भ में रूप देता है । इस विषय में अल्लाह सर्वशक्तिमान फ़रमाता है :
)مَا مِنْ دَابَّةٍ إِلَّا هُوَ آخِذٌ بِنَاصِيَتِهَا](هود: 56[
(चलने-फिरनेवाला जो प्राणी भी है, उसकी चोटी तो उसी के हाथ में है।)[हूड: ५६] उसे जैसे चाहता है चलाता है और लोगों के दिल उसकी उंगलियों के बीच में हैं जैसे चाहता है नचाता है और लोगों के माथे उसके हाथ में हैं जैसे चाहता है घुमता है और सारी चीज़ों के बागडोर उसके लिखे भाग और क़िस्मत से बंधे हैं, न कोई उससे उसका शासन छीन सकता है और न कोई उसे हरा सकता है ।
यदि पूरा राष्ट्र किसी को नुक़सान पहुंचाने पर तुल जाए और अल्लाह ने नुक़सान नहीं लिखा तो कोई उसे नुक़सान नहीं पहुंचा सकेगा और यदि सारे के सारे लोग उसे लाभ पहुंचाने पर तुल जाएं लेकिन वह लाभ अल्लाह सर्वशक्तिमान की इच्छा में न हो तो कोई उसे लाभ नहीं दे सकता है ।
यदि कोई दुर्घटना होनेवाली हो तो उसके सिवा कोई रोक नहीं सकता और यदि कोई मुसीबत घटनेवाली हो तो उसके सिवा कोई उसे टाल नहीं सकता है।वह जो चाहता है बनाता है और जो चाहता है करता है । वह अपने कामों पर किसी के सामने जवाबदेह नहीं है और सारे लोग उसके सामने जवाबदेह हैं । वह अपने आप है और अपनी रचना का मुहताज नहीं है । वह सब पर आदेश चलाता है, सारी अनदेखी और उन्सुनी की कुंजी उसी के पास है जिसे कोई नहीं जान सकता है बल्कि उसका ज्ञान तो फ़रिश्तों से भी छिपा है, इसलिए फ़रिश्ते भी यह नहीं जानते हैं कि कल कौन मरनेवाला है या ब्रह्माण्ड में क्या होनेवाला है ?
वह सब राजाओं का है जो अपने दासों का काम बनाता है। वही आदेश देता है और हुक्म चलाता है, वही देता है और वही रोकता है, वही ऊँचा करता है और वही नीचा करता है ।हर समय और हर घड़ी उसके आदेश आते रहते हैं, उसकी इच्छा और इरादे के अनुसार उसका शासन चलता है । जो चाहा हुआ और जो नहीं चाहा नहीं हुआ । अल्लाह सर्वशक्तिमान इस विषय में फ़रमाता है :
يسْأَلُهُ مَنْ فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ كُلَّ يَوْمٍ هُوَ فِي شَأْنٍ [الرحمن: 29[
(आकाशों और धरती में जो भी है उसी से माँगता है। उसकी हर रोज़ नित्य नई शान है ।) [अर-रहमान: २९].
और उसकी शानों में यह शामिल है कि किसी को संकट से छुटकारा दिलाता है , और टूटे दिल को सहायता देता है, और गरीबको अमीर बनाता है और प्रार्थना को स्वीकार करता है । अल्लाह सर्वशक्तिमान फ़रमाता है :
)وَمَا كُنَّا عَنِ الْخَلْقِ غَافِلِينَ) [المؤمنون: 17[
(और हम सृष्टि-कार्य से ग़ाफ़िल नहीं ।) [अल-मोमिनून:१७].
उसका ज्ञान सब को अपने दामन में समेटा है, वह उसे भी जानता है जो हुआ है और उसे भी जानता है जो अभी नहीं हुआ है, उसकी अनुमति के बिना कोई तिनका भी नहीं हिलता है । उसकी अनुमति के बिना कोई पत्ता भी नहीं हिलता है ।कोई रहस्य उसपर छिपा नहीं है ।बल्कि उसके पास तो गुप्त और खुला दोनों बराबर है ।अल्लाह सर्वशक्तिमान का फ़रमान है :
)سَوَاءٌ مِنْكُمْ مَنْ أَسَرَّ الْقَوْلَ وَمَنْ جَهَرَ بِهِ وَمَنْ هُوَ مُسْتَخْفٍ بِاللَّيْلِ وَسَارِبٌ بِالنَّهَارِ) [الرعد: 10]
(तुममें से कोई चुपके से बात करे और जो कोई ज़ोर से और जो कोई रात में छिपताहो और जो दिन में चलता-फिरता दीख पड़ता हो उसके लिए सब बराबर है।) [अर-रअद: १०]
वह सबकी आवाज को सुनता है, हज़रत आइशा-अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे- फरमाती हैं: उसके सुनने की क्षमता सारी आवाज़ों को सुन लेती है। वह आगे फ़रमाती हैं: जब बहस करनेवाली महिला हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-के पास आई, वह उनसे बात कर रही थी और मैं घर के एक कोने में थी, वह जो बात कर रही थी वह मैं नहीं सुन पा रही थी । हज़रत आइशा-अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे- आगे कहती हैं: इसी बारे में अल्लाह सर्वशक्तिमान ने यह आयत उतारी:
)قَدْ سَمِعَ اللَّهُ قَوْلَ الَّتِي تُجَادِلُكَ فِي زَوْجِهَا(
(अल्लाह ने उस स्त्री की बात सुन ली जो अपने पति के विषय में तुमसे झगड़ रही है।) [मुजादिलह:१]
उसपर लोगों के कार्य घटाटोप रात के अंधेरे में भी नहीं छिपता है । अल्लाह सर्वशक्तिमान फ़रमाता है :
)الَّذِي يَرَاكَ حِينَ تَقُومُ ,وَتَقَلُّبَكَ فِي السَّاجِدِينَ(الشعراء: 218، 219
(जो तुम्हें देख रहा होता है, जब तुम खड़े होते हो, और सजदा करनेवालों में तुम्हारे चलत-फिरत को भी वह देखता है।) [अश-शुअरा: २१८, २१९] वह तो अंधेरी रात में काली चट्टान पर काली चींटी को भी देख लेता है ।
उसके ख़ज़ाने आकाश और पृथ्वी दोनों में भरे हैं , और उसके दोनों हाथ उदारता के लिए खुले हैं, वह रात और दिन बल्कि सदा उदार है जैसे चाहता है खर्च करता है, बड़ा दाता और बड़ा उदार है, मांगने पर बल्कि मांगने से पहले देता है, हर रात जब रात का तीसरा भाग आता है तो वह पहले आकाश पर दया का प्रकाश डालता है और कहता है : है कोई मांगनेवाला? कि दूँ, और यदि उससे नहीं मांगता है तो वह उस पर क्रोधित होता है ।
उसने अपने दरवाज़ों को अपनी प्राणियों के लिए खोल रखा है, उसने समुद्रों को मनुष्य के क़ाबू में दिया, और नदियों को बहाया और सबकी रोज़ी का आयोजन किया, और सारी प्राणियों तक उनकी रोज़ी पहुंचाई, चींटी को धरती के भीतर रोज़ी दिया और पक्षियों को हवा में भोजन दिया और मछलियों को पानी में रोज़ी दिया , अल्लाह सर्वशक्तिमान फ़रमाता है :
)وَمَا مِنْ دَابَّةٍ فِي الْأَرْضِ إِلَّا عَلَى اللَّهِ رِزْقُهَا(هود: 6
(धरती में चलने-फिरनेवाला जो प्राणी भी है उसकी रोज़ी अल्लाह के ज़िम्मे है।)[हूड: ६] उसकी रोज़ी सबको काफी है , उसने भ्रूण को उसकी माँ के गर्भ में रोज़ी का आयोजन किया और मजबूत और शक्तिशाली को भी रोज़ी दिया, वह अत्यंत उदार है और उदारता और दानशीलता को चाहता है, यदि उससे माँगा जाता है तो दे देता है, और यदि उसे छोड़ कर दूसरे से माँगा जाए तो उसपर क्रोधित होता है, जो जो भी भलाई यहाँ है वह उसी से है । जैसा कि शुभ क़ुरआन में आया है ।
)وَمَا بِكُمْ مِنْ نِعْمَةٍ فَمِنَ اللَّهِ( النحل: 53
(तुम्हारे पास जो भी नेमत है वह अल्लाह ही की ओर से है।) [अन-नहल: ५३].
उसके पास रोज़ी में कमी नहीं होती है, पैगंबर हज़रत मुहम्मद -उन पर इश्वर की कृपाऔर सलाम हो-ने फ़रमाया: “क्या तुम देखते नहीं कि जब से आकाशों और पृथ्वी को बनाया खर्च कर रहा है लेकिन जो उसके पास है उसमें कोई कमी नहीं हुई है।”यह मुस्लिम द्वारा उल्लेख की गई ।
और यदि सभी लोग उससे मांगें और वह उनकी सारी मांगों को पूरी करे तब भी उसके राज्य में कोई कमी नहीं होगी । और आप -उन पर इश्वर की कृपाऔर सलाम हो-ने फ़रमाया: अल्लाह सर्वशक्तिमान ने फ़रमाया : ऐ मेरे दासो! यदि तुम्हारे अगले और पिछले, तुम्हारे मनुष्य और जिन्नात, सब के सब एक मैदान में खड़े हो जाएँ और मुझ से मांगें और मैं सारे की मांग पूरी करूँ तो भी मेरे पास जो है उसमें कुछ कमी नहीं होगी मगर केवल उतना जितना कि समुद्र में सोई डालने से कमी होती है । (मतलब जब सोई समुद्र में रखी जाए तो सोई में पानी लगकर समुद्र के पानी में जितनी कमी हो सकती है ।) यह मुस्लिम द्वारा उल्लेख की गई ।
और अल्लाह सर्वशक्तिमान अच्छे कार्य पर कई गुना इनाम देता है, यदि कोई एक भलाई करता है तो उसपर दस गुना उसका इनाम देता है बल्कि सात सौ गुना तक भी उसका इनाम पहुँच जाता है, व्यक्ति के इरादे में पवित्रता के हिसाब से कई कई गुना बढ़ कर इनाम पाता है, और वह आज्ञाकारिता के एक छोटे से समय को बहुत बढ़ा देता है, जैसे शबेक़दर एक हज़ार महीने से बेहतर है, (शबेक़दर रमज़ान के महीने के अंतिम दस रातों में से कोई एक रात है जिसमें इबादत और अच्छा काम करना हज़ार महीने में इबादत करने से बेहतर है ।) और हर महीने के तीन दिन के रोज़े पूरे ज़माने के रोज़े के बराबर है । अगर कोई व्यक्ति अपने पालनहार को प्रसन्न करने के लिए अपना धन खर्च करता है तो अल्लाह उसके बदले में कई कई गुना बढ़कर उसे वापस देता है ।
उसकी उदारता ऐसी है कि वह कल्पना से भी बढ़कर देता है , स्वर्गीय लोगों के लिए ऐसे ऐसे इनाम रखे जिसे न किसी आंख ने देखा और न किसी कान ने सुना बल्कि जो न किसी मनुष्य के कल्पना में आया ।यदि कोई व्यक्ति अल्लाह के लिए किसी चीज़ को त्याग देता है तो वह उसे उससे अच्छा देता है ।
उसे किसी की ज़रूरत नहीं है, लेकिन सारी चीज़ों को उसकी ज़रूरत है ।अल्लाह सर्वशक्तिमान का फ़रमान है:
)يَا أَيُّهَا النَّاسُ أَنْتُمُ الْفُقَرَاءُ إِلَى اللَّهِ وَاللَّهُ هُوَ الْغَنِيُّ الْحَمِيدُ( فاطر: 15
(ऐ लोगो! तुम्ही अल्लाह के मुहताज हो और अल्लाह तो निस्पृह, स्वप्रशंसित है ।) [फ़ातिर: १५]
न लोग उसे कुछ लाभ पहुंचा सकते हैं कि लाभ पहुंचाएं और न कुछ नुक़सान पहुंचा सकते हैं कि नुक़सान पहुंचाएं, वह बहुत बड़ाईवाला और अत्यंत महान है, उसका राज्य सब पर है, आकाश और पृथ्वी सब उसकी हुकूमत की कुरसी के नीचे हैं बल्कि सातों आकाश उसकी हुकूमत की कुर्सी के नीचे ऐसे हैं
अल्लाह के खोज की यात्रा
अल्लाह को पहचानने के लिए यात्रा करने के अलग अलग रास्ते हैं lहम जो रास्ता यहाँ चलेंगे वह है खोज का अभियान या रास्ता जिस पर एक महान व्यक्ति चले थे और जिनको यह महसूस हुआ था कि इस दुनिया के बनाने के पीछे एक निर्माता और सिरजनहार का होना ज़रूरी है जो पूजा का हक़दार है lऔर वह महान आदमी हज़रत इबराहीम अल-ख़लील(अल्लाह के वफ़ादार दोस्त) थे, जो ख़ुद भी एक नबी थे और कई नबियों के पिता और दादा थे l
हज़रत इबराहीम –सलाम हो उनपर-अल्लाह की रचनाओं में विचार और चिंतन करते हुए निकले वह अल्लाह को पहचानना चाहते थे क्योंकि वह उसकी रचनात्मकता और क्षमता को अपने सामने देख रहे थे lउन्होंने अल्लाह को खोजने की अपनी यात्रा शुरू की lऔर उनकी कहानी को शुभ क़ुरआन ने इस तरह उल्लेख किया है :
" وَكَذَلِكَ نُرِي إِبْرَاهِيمَ مَلَكُوتَ السَّمَاوَاتِ وَالأَرْضِ وَلِيَكُونَ مِنَ الْمُوقِنِينَ (75) فَلَمَّا جَنَّ عَلَيْهِ اللَّيْلُ رَأَى كَوْكَبًا قَالَ هَذَا رَبِّي فَلَمَّا أَفَلَ قَالَ لا أُحِبُّ الآفِلِينَ(76) فَلَمَّا رَأَى الْقَمَرَ بَازِغًا قَالَ هَذَا رَبِّي فَلَمَّا أَفَلَ قَالَ لَئِن لَّمْ يَهْدِنِي رَبِّي لأكُونَنَّ مِنَ الْقَوْمِ الضَّالِّينَ(77) فَلَمَّا رَأَى الشَّمْسَ بَازِغَةً قَالَ هَذَا رَبِّي هَذَا أَكْبَرُ فَلَمَّا أَفَلَتْ قَالَ يَا قَوْمِ إِنِّي بَرِيءٌ مِّمَّا تُشْرِكُونَ(78) إِنِّي وَجَّهْتُ وَجْهِيَ لِلَّذِي فَطَرَ السَّمَاوَاتِ وَالأَرْضَ حَنِيفًا وَمَا أَنَاْ مِنَ الْمُشْرِكِينَ(79) وَحَاجَّهُ قَوْمُهُ قَالَ أَتُحَاجُّونِّي فِي اللَّهِ وَقَدْ هَدَانِ وَلاَ أَخَافُ مَا تُشْرِكُونَ بِهِ إِلاَّ أَن يَشَاء رَبِّي شَيْئًا وَسِعَ رَبِّي كُلَّ شَيْءٍ عِلْمًا أَفَلاَ تَتَذَكَّرُونَ (80) " ( سورة الأنعام : 75-80(
(और इस प्रकार हम इबराहीम को आकाशों और धरती का राज्य दिखाने लगे (ताकि उसके ज्ञान का विस्तार हो) और इसलिए कि उसे विश्वास हो lअतएवः जब रात उसपर छा गई, तो उसने एक तारा देखा। उसने कहा, "इसे मेरा रबठहराते हो!" फिर जब वह छिप गया तो बोला, "छिप जानेवालों से मैं प्रेम नहींकरता।"फिर जब उसने चाँद को चमकता हुआ देखा, तो कहा, "इसको मेरा रब ठहराते हो!"फिर जब वह छिप गया, तो कहा, "यदि मेरा रब मुझे मार्ग न दिखाता तो मैं भीपथभ्रष्ट! लोगों में सम्मिलित हो जाता।" फिर जब उसने सूर्य को चमकता हुआ देखा, तो कहा, "इसे मेरा रब ठहराते हो! यहतो बहुत बड़ा है।"फिर जब वह भी छिप गया, तो कहा, "ऐ मेरी क़ौन के लोगो!मैं विरक्त हूँ उनसे जिनको तुम साझी ठहराते हो l"मैंने तो एकाग्र होकर अपना मुख उसकी ओर कर लिया है, जिसने आकाशों और धरती को पैदा किया। और मैं साझी ठहरानेवालों में से नहीं।" उसकी क़ौम के लोग उससे झगड़ने लगे। उसने कहा, "क्या तुम मुझसे अल्लाह केविषय में झगड़ते हो? जबकि उसने मुझे मार्ग दिखा दिया है। मैं उनसे नहींडरता, जिन्हें तुम उसका सहभागी ठहराते हो, बल्कि मेरा रब जो कुछ चाहता हैवही पूरा होकर रहता है। प्रत्येक वस्तु मेरे रब की ज्ञान-परिधि के भीतर है।फिर क्या तुम चेतोगे नहीं? ((अल-अनआम:७५-८०)
जब हज़रत इबराहीम को यह महसूस हुआ कि एक ऐसी शक्ति मौजूद है जिसने सबको बनाया है, आकाशों और पृथ्वी का निर्माण कियाlऔर उनको अपने आप में यह महसूस हुआ कि इन देवताओं से कुछ लाभ या नुक़सान होनेवाला नहीं जिनकी पूजापाठ यह लोग लगे हैं । और यह देवी-देवता हरगिज़ हरगिज़ कुछ बना नहीं सकते। और आगे चल कर उन्होंने साबित कर दिया कि वे तो स्वयं की रक्षा भी नहीं कर सकते है ।
हज़रत इबराहीम अपने पालनहार को खोजने के अभियान पर निकले , पहले आकाश को देखा और उसपर एक बड़ा सितारा देखा और सोचा क्या यह मेरा पालनहार हो सकता है? लेकिन सितारा कितना भी चमके फिर उसे डूबना ही है, जब रात को अंधेरा छा गया और रात खत्म हो गई और सितारा छिप गया तो हज़रत इबराहीम अचंभित हो गए और बोले जो सितारा रात आने पर छिप जाता हो वह परमेश्वर कैसे हो सकता है! हज़रत इबराहीम अपना अभियान जारी रखे और जब आकाश में चांद को देखे तो तो सोचा क्या यह वह परमेश्वर हो सकता जिसको वह खोज रहे हैं लेकिन चाँद तो सितारा की तरह ही सुबह होते ही आँखों के सामने से छिप गया ।
और जब अल्लाह के पैगंबर हज़रत इबराहीम ने सूर्य को देखा तो कहा: क्या यह मेरा पालनहार हो सकता है? क्योंकि यह तो उससे अधिक बड़ा है लेकिन दिन के अंत में सूर्य डूब गया तो उनको विश्वास हो गया कि यह भी हमारा परमेश्वर नहीं हो सकता है lऔर फिर अल्लाह ने उनपर कृपा किया और उन्हें विश्वास से सम्मानित किया और अल्लाह ने उन्हें अपनी वाणी दी और उन्हें लोगों में घोषणा कर देने का आदेश दिया कि लोगों को बता दें कि अल्लाह ने उन्हें सब को मार्गदर्शन करने लिए चुन लिया है और उनको अपना नबी बनाया है ।
जी हाँ, वह ही अल्लाह है जिसको हज़रत इबराहीम ने पहचाना, वह चाँद है न सूर्य और न वह मूर्ति जिसकी उनकी जाति पूजा कर रही थी । अल्लाह तो वह है जिसने आकाशों और पृथ्वी को बनाया है ।
याद रहे कि अल्लाह के खोज के लिए यह पहली यात्रा नहीं थी । बल्कि इस तरह की यात्राएं होती रही हैं उन्हीं में से एक यात्रा वह थी जो हज़रत इबराहीम–सलाम हो उनपर-की मौत के हज़ारों साल बाद की गई, आइये अगले लेख में उसी यात्रा के विषय में बात करते हैं ।
उसकी रचनाएँ उसका पता देती हैं
सबसे अधिक जो अल्लाह के अस्तित्व का पता देती है वह है उसकी रचनाएँ जिनको उसने बनाया है lऔर जिनको बहुत सुंदर बनाया, यह रचनाएँ जिनको उसने पैदा किया और उसकी कृपाएं भी उसका पता देती हैं जो उसने अपने दासों पर रखी हैं चाहे नास्तिक हो या भक्त हो l
पवित्र क़ुरआन अल्लाह के चमत्कार और उसकी क्षमता पर सब से बड़ा गवाह है lअल्लाह सर्वशक्तिमान ने उस में अगलों और पिछलों का समाचार रख दिया है lऔर उसमें ऐसी अनदेखी और अनसुनी बातों का खुलासा किया जिसका पहले कभी भी मनुष्य को पता नहीं था lयहाँ हम पवित्र क़ुरआन में उल्लेखित कुछ चमत्कारों को आपके सामने रखते हैं जिनसे साफ़ संकेत मिलता है कि अल्लाह का अस्तित्वऔर उसका ज्ञान सब चीज़ों से पहले से हैl
* वैज्ञानिकों ने लौहा के धातु घटकों को पता करने की बहुत कोशिश की क्योंकि जो ऊर्जा उसके गुटों को जोड़ने के लिए दरकार हैं वह तो हमारे सौर सूर्य मंडल में उपलब्ध शक्ति से चार गुना बढ़कर है... यह बात वैज्ञानिकों के लिए बहुत अजीब थी, लेकिन यह तथ्य इस्लामी विद्वानों के लिए कोई हैरानी की बात नहीं थी जो अल्लाह सर्वशक्तिमान के शब्दों को पढ़ते और समझते हैं lअल्लाह सर्वशक्तिमान लोहा के विषय में फ़रमाता है:
" وَأَنزَلْنَا الْحَدِيدَ فِيهِ بَأْسٌ شَدِيدٌ وَمَنَافِعُ لِلنَّاسِ وَلِيَعْلَمَ اللَّهُ مَن يَنصُرُهُ وَرُسُلَهُ بِالْغَيْبِ إِنَّ اللَّهَ قَوِيٌّ عَزِيزٌ " (سورة الحديد : 25)
“और लोहा भी उतारा, जिसमें बड़ी दहशत है और लोगों के लिए कितने ही लाभ है, और (किताब एवं तुला इसलिए भी उतारी) ताकि अल्लाह जान ले कि कौन परोक्ष मेंरहते हुए उसकी और उसके रसूलों की सहायता करता है। निश्चय ही अल्लाहशक्तिशाली, प्रभुत्वशाली है।”
मुस्लिम विद्वानों को तुरंत पता चल गया कि अल्लाह सर्वशक्तिमान ने तोलोहा के विषय में “उतारा”का शब्द फ़रमाया है इससे सिद्ध होता है कि लोहा के घटक पार्थिव नहीं हैं बल्कि वह तो आकाश से नीचे उतारा गया है । और आधुनिक युग में वैज्ञानिकों ने भी इसी की पुष्टि की है कि लोहा के घटक पृथ्वी के घटक नहीं हैं ।
* अब चलिए जरा हम समुद्र की गहराई में डुबकी लगाते हैं क्योंकि सागरों की भूवैज्ञानिक विशेषताओं के माहेरीन ने पता लगाया है कि सागरों की भूवैज्ञानिक विशेषताएं बिल्कुल वही हैं जो अल्लाह सर्वशक्तिमान ने पवित्र क़ुरआन में उल्लेख किया है, अल्लाह सर्वशक्तिमान का फ़रमान है :
" أَوْ كَظُلُمَاتٍ فِي بَحْرٍ لُّجِّيٍّ يَغْشَاهُ مَوْجٌ مِّن فَوْقِهِ مَوْجٌ مِّن فَوْقِهِ سَحَابٌ ظُلُمَاتٌ بَعْضُهَا فَوْقَ بَعْضٍ إِذَا أَخْرَجَ يَدَهُ لَمْ يَكَدْ يَرَاهَا وَمَن لَّمْ يَجْعَلِ اللَّهُ لَهُ نُورًا فَمَا لَهُ مِن نُّورٍ " (سورة النور : 40)
"या फिर जैसे एक गहरे समुद्र में अँधेरे, लहर के ऊपर लहर छा रही हैं; उसकेऊपर बादल है, अँधेरे है एक पर एक। जब वह अपना हाथ निकाले तो उसे वह सुझाईदेता प्रतीत न हो। जिसे अल्लाह ही प्रकाश न दे फिर उसके लिए कोई प्रकाशनहीं।"(सूरत अन-नूर: ४०) इस तथ्य का पता ऐसे नहीं चला बल्कि इसके लिए सैकड़ों समुद्री टर्मिनल की स्थापना हुई और उपग्रह इमेजिंग उद्योग के द्वारा फोटो लिए गए तब जाकर इस तथ्य का खुलासा हुआ .. इस रिपोर्ट के मालिक (Professor Rashryder) प्रोफेसर श्रोएडर पश्चिम जर्मनी में समुद्री वैज्ञानिकों केसबसे बड़े वैज्ञानिक हैं, उन्होंने इस आयत को सुन कर कहा कि: यह किसी मनुष्य का शब्द नहीं हो सकता है ।.. एक दूसरे प्रोफेसर और सागर के भूविज्ञान के विशेषज्ञ , प्रोफेसर Professor Dorjaro इस आयत के विषय में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्याख्या करते हुए कहते हैं: "अतीत में मनुष्य बिना मशीनरी के इस्तेमाल के बीस मीटर से अधिक समुद्र की गहराई में डुबकी नहीं लगा सकते थे .. लेकिन अब हम आधुनिक उपकरणों के द्वारा समुद्र में दो सौ मीटर की गहराई तक डुबकी लगाई जा रही है और हम देख रहे हैं कि दो सौ मीटर की गहराई पर बहुत अधिक अंधेरा है।
शुभ आयत में “बहरिन लुज्जी”(एक गहरे समुद्र में) का शब्द आया है और गहरे समुद्र की खोजों से संबंधित जो फ़ोटोज़ लिए गए हैं उन में इस शुभ आयत के अर्थ की साफ़ साफ़ सच्चाई प्रमाणित होती है:
)ظُلُمَاتٌ بَعْضُهَا فَوْقَ بَعْضٍ(
(अँधेरे हैं एक पर एक) और यह बात सब अच्छी तरह जानते हैं कि स्पेक्ट्रम के सात अलग अलग रंग होते हैं लाल, पीला, नीला, हरा,नारंगी आदि, यदि हम समुद्र की गहराई में डुबकी लगाते हैं तो एक बाद एक सारे रंग गायब हो जाते हैं .. और इन रंगों के गायब होने से अंधेरा पैदा होता है, पहले लाल रंग गायब होता है फिर नारंगी, उसके बाद पीला, सबसे आखिर में नीला रंग गायब होता है मतलब दो सौ मीटर की गहराई पर नीला रंग गायब होता है .. यह सारे रंगों के गायब होने से बिल्कुल अँधेरा ही अंधेरा बाक़ी रह जाता है.. और अल्लाह सर्वशक्तिमान ने जो फ़रमाया :
)مَوْجٌ مِّن فَوْقِهِ مَوْجٌ(
(लहर के ऊपर लहर छा रही हैं), यहाँ यह बात स्प्ष्ट रहे कि वैज्ञानिक रूप से यह सिद्ध किया जा चुका है कि समुद्र के गहरे हिस्से और ऊपरी भाग के बीच एक विभाजन रेखा है .. लेकिन हम उसे नहीं देख पाते हैं और समुद्र की ऊपरी सतह पर लहरें हैं जिनको हम देखते हैं इसलिए ऐसा लगता है कि लहर पर लहर है।याद रहे कि यह एक तथ्य है जिसकी वैज्ञानिक पुष्टि हो चुकी है इसलिए प्रोफेसर दारजारो Professor Dorjaro ने इस आयत के विषय में साफ़ साफ़ कहाकि यह आयत किसी मानव ज्ञान का फल नहीं है ।
जी हाँ, यही अल्लाह की शान है अगर अभी तक आपको उसकी परिचय नहीं मिल पाई हो तो अब परिचित हो जाइए।
उसके चमत्कार और उसकी रचनाओं में सोचिए ।आकाश को देखिए कौन उसे गिरने से रोकता है?
इस बात में ज़रा सोचिए कि आपके पैरों के नीचे कैसे भूमि को बराबर बनाया ?
ज़रा इस बात में नज़र दौड़ा कर देखिए कि कौन यह सारे सिस्टम को नियंत्रण में रखता है ?
जी हाँ, वह अल्लाह है जो अमर है और सबको संभालनेवाला है ।
यदि आप उसे पहचानना चाहते हैं... तो दरवाज़े पर दस्टाक दीजिये
ऐसे कई तरीके हैं जिसके माध्यम से मनुष्य अपने आसपास की वस्तुओं और प्राकृतिक और अप्राकृतिक घटनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करता है lऔर इसे पहचानने का तरीका भी वस्तुओं के लिहाज़ से अलग अलग हुआ करता है l
उदाहरण के लिए जब आप किसी व्यक्ति को पहचानना चाहते हैं तो आप उसके क़रीब होते हैं और उनसे दोस्ती करते हैं और उनको सम्मान देते हैं और उनकी इज़्ज़त करते हैं बल्कि अलग अलग भाषाओं के लोग सर्वनाम का इस्तेमाल करते हैं जो अनजान को बताने का काम देते हैं और जिसे "सम्मान या इज़्ज़त का शब्द" कहा जाता हैlकभी कभी अपना परिचय आप ख़ुद दूसरों को देते हैं और कभी कभी आपका दोस्त आपकी ओर से आपका परिचय दूसरों को देता है और कहता है कि आप फुलांन हैं lकई लोगों को हम समाचारपत्रों के पन्नों और टीवी स्क्रीन द्वारा पहचान प्राप्त करते हैं lकई लोगों के बारे में हम कहानियों और क़िस्सों के द्वारा जानकारी प्राप्त करते हैं जो कहानियाँ लेखकों द्वारा बुनाई जाती हैं और यह कहानियाँ कभी सच के नज़दीक होती हैं और कभी दूर रहती हैं l
किसी भी चीज़ और किसी भी व्यक्ति को जानने और पहचानने के लिए कई तरीके होते हैं और सबसे अच्छा रास्ता यह है कि किसी को पहचानने के लिए उन्हीं की बात सुन ली जाए lऔर शायद अल्लाह को पहचानने के विषय में हम इसी तरीक़ा को लागू करें l
अब प्रश्न यह है कि अल्लाह कौन है?
इस सवाल का जवाब अल्लाह सर्वशक्तिमान ख़ुद दे रहा है, उसका फ़रमान है:
" اللّهُ لاَ إِلَـهَ إِلاَّ هُوَ الْحَيُّ الْقَيُّومُ لاَ تَأْخُذُهُ سِنَةٌ وَلاَ نَوْمٌ لَّهُ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الأَرْضِ مَن ذَا الَّذِي يَشْفَعُ عِنْدَهُ إِلاَّ بِإِذْنِهِ يَعْلَمُ مَا بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ وَلاَ يُحِيطُونَ بِشَيْءٍ مِّنْ عِلْمِهِ إِلاَّ بِمَا شَاء وَسِعَ كُرْسِيُّهُ السَّمَاوَاتِ وَالأَرْضَ وَلاَ يَؤُودُهُ حِفْظُهُمَا وَهُوَ الْعَلِيُّ الْعَظِيمُ " ( البقرة : 255(
“अल्लाह कि जिसके सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं, वह जीवन्त-सत्ता है, सबकोसँभालने और क़ायम रखनेवाला है। उसे न ऊँघ लगती है और न निद्रा। उसी का हैजो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। कौन है जो उसके यहाँ उसकीअनुमति के बिना सिफ़ारिश कर सके? वह जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछउनके पीछे है। और वे उसके ज्ञान में से किसी चीज़ पर हावी नहीं हो सकते, सिवाय उसके जो उसने चाहा। उसकी कुर्सी (प्रभुता) आकाशों और धरती को व्याप्तहै और उनकी सुरक्षा उसके लिए तनिक भी भारी नहीं और वह उच्च, महान है l”
यहाँ अल्लाह सर्वशक्तिमान ख़ुद अपने बारे में परिचय दे रहा है कि वही अकेला पूज्य है उसके सिवा कोई पूजनीय नहीं है,सभी रचनाओं के लिए वही एक पूजा किए जाने के योग्य है और वही जीवन्त-सत्ता है, सबकोसँभालने और क़ायम रखनेवाला है। अर्थातः वह अपने आप जीवित है और अमर जिसे कभी मृत्यु नहीं आ सकती, सारी वस्तुओं को संभालनेवाला है, सारा संसार उसका ज़रूरतमंद है उस से कोई आज़ाद नहीं हो सकते और न उसके आदेश के बिना किसी को कोई शक्ति है ।
अल्लाह सर्वशक्तिमान का यह फ़रमान कि: "उसे न ऊँघ लगती है और न निद्रा" अर्थातः उसमें कोई कमी नहीं आ सकती है और न वह अपनी रचना से एक पल के लिए भी ग़ाफिल या बेख़बर है, बल्कि वह प्रत्येक आत्मा को संभाल रहा है , उसके कार्य को देख रहा है, कोई रहस्य उसपर छिपा हुआ नहीं है, कोई चीज़ उस से ओझल नहीं हो सकती है, उसकी निपुणता में यह भी शामिल है कि उसे न कभी नींद आ सकती और न ऊँघ, नींद तो बड़ी बात है बल्कि उसे तो एक पल के लिए ऊँघ भी नहीं आ सकती है ।
अल्लाह सर्वशक्तिमान का यह फ़रमान:“उसी का हैजो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है।" इसमें अल्लाह सर्वशक्तिमान हमें यह बता रहा है कि सब के सब उसके क़ब्ज़े में हैं और सब उसके अधीन हैं और उसके क़ाबू में हैं ।
अल्लाह सर्वशक्तिमान का यह फ़रमान: "कौन है जो उसके यहाँ उसकीअनुमति के बिना सिफ़ारिश कर सके?" इससे अल्लाह सर्वशक्तिमान की महानता और उसकी बड़ाई और उसका महिमा झलक रहा है क्योंकि अल्लाह सर्वशक्तिमान के पास किसी की हिम्मत नहीं कि उसकी अनुमति के बिना कोई सिफ़ारिश कर सके ।
और अल्लाह सर्वशक्तिमान का यह फ़रमान कि:"जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछउनके पीछे है।" इस से यह स्प्ष्ट हो रहा है कि उसका ज्ञान सभी वस्तुओं को घेरा है और वह सबके अतीत, वर्तमान और भविष्य को अच्छी तरह जानता है ।
अल्लाह सर्वशक्तिमान का यह फ़रमान कि : “और वे उसके ज्ञान में से किसी चीज़ पर हावी नहीं हो सकते, सिवाय उसके जो उसने चाहा।" इस का अर्थ यह है कि अल्लाह सर्वशक्तिमान के ज्ञान में से किसी बात का किसी को कोई पता नहीं है लेकिन केवल उतना ही जितना कि वह ख़ुद बता देता है ।
और अल्लाह सर्वशक्तिमान का यह फ़रमान कि :"उसकी कुर्सी (प्रभुता) आकाशों और धरती को व्याप्तहै ।"अर्थातः उसकी हुकूमत और उसकी तख़्त शाही सबको घेरे हुए है ।
और अल्लाह सर्वशक्तिमान का यह फ़रमान :“और उनकी सुरक्षा उसके लिए तनिक भी भारी नहीं”अर्थातः आकाशों और धरती और जो उन दोनों के बीच में है उन सब की सुरक्षा उसपर भारी या बोझ नहीं है, यह तो उसके लिए बिल्कुल आसान है , वह तो हर चीज़ को संभालनेवाला है, और सारी वस्तुओं का निगहबान है, उससे कोई चीज़ न छिप सकती है और न अलोप होती है, सारी चीज़ें उसके सामने नीच मामूली और छोटी हैं, और सबको उसकी ओर ज़रूरत है और उसे किसी की ज़रूरत नहीं है और वह सराहनीय है और जो चाहता है कर गुज़रता है, वह किसी के सामने जवाबदेह नहीं है और सबके सब उसके सामने जवाबदेह हैं, सब चीज़ पर उसकी हुकूमत है और सबका हिसाब रखनेवाला है और सब चीज़ का निगहबान है, वह बहुत बड़ाईवाला और महान है, उसके सिवा कोई पालनहार नहीं ।
और अल्लाह सर्वशक्तिमान का यह फ़रमान कि: "वह उच्च, महान है l" अर्थातः वह सब से ऊपर है और सबसे बड़ा है l
मेरे प्रिय पाठक यदि आप अल्लाह सर्वशक्तिमान के विषय में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो यही उसका बुनियादी पहचानपत्र है जो मैंने आपके सामने रखा , यहाँ हमने आप के सामने तर्क और प्रमाण का हवाला देने का प्रयास नहीं किया है और न ही हमने कोई कविता या प्रशंसा लिखी है, बल्कि इस बारे में मैंने अपनी ओर से कोई बात नहीं की हैlवास्तव में यह तो ख़ुद अल्लाह सर्वशक्तिमान की ओर से दिया गया एक परिचय थाlकितना ऊंचा और क्या ही धन्य है अल्लाह सर्वशक्तिमान का अस्तित्व lयह सुभ आयत है जो “आयत अल-कुरसी”के नाम से जानी जाती है lवास्तव में यह आयत शुभ क़ुरआन की सबसे बड़ी शानवाली आयत है lइसे अच्छी तरह ध्यान से पढ़ें और सुनें कि अल्लाह सर्वशक्तिमान ने किस तरह अपने विषय में परिचय दे दिया, यह पढ़कर निकट से उसके बारे में पता करने की कोशिश करें, और अगर आप कुछ बात को न समझ सकें तो इसी विषय पर मेरा आनेवाला लेख पढ़ लें l
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