शादी
तुम में से जो मर्द और औरत बगैर शादी के हों उनका निकाह कर दो और अपने गुलाम व लोंडियां जो नेक हों उनका निकाह कर दो। अगर वे गरीब होंगे तो अल्लाह अपने फजल से उनको मालदार कर देगा और अल्लाह बड़ी समायी वाला और इल्म वाला है।
नूर 24: 32
और अल्लाह की निशानियों में एक अहम निशानी यह है कि उसने तुम्हारी ही सहजाती से तुम्हारे लिए जोड़े पैदा किए ताकि तुम उनके पास सुकून (शांति) पा सको और तुम्हारे बीच मोहब्बत व रहमत पैदा कर दी ।
रूम 30: 21
(मुसलमानो!) तुम मुशरिक (बहुदेववादी) औरतों से हरगिज निकाह न करो जब तक कि वे ईमान न ले आएं।
बकर 2: 221
जो तुम्हें पसन्द हो, दो-दो या तीन-तीन या चार-चार से शादी कर लो। किन्तु अगर तुम्हें डर हो कि तुम उनके साथ इंसाफ न कर सकोगे तो फिर एक ही बीवी रखो ।
निसा 4: 3
औरतों को भी भले तरीके पर वैसे ही अधिकार हैं जैसे मर्दों के अधिकार उन पर हैं।
बकर 2: 228
और मर्दों को औरतों पर एक दरजा फजीलत (ज्यादा) हासिल है। मर्द औरतों के संरक्षक और निगरां है, क्योंकि अल्लाह ने उनसे कुछ को कुछ के मुकाबले में आगे रखा है।
निसा 4: 34
औरतों के साथ नेक सलूक की जिन्दगी गुजारो। फिर अगर वे तुम्हें (किसी वजह से) नापसन्द हों तो हो सकता है कि एक चीज तुम्हें पसन्द न हो, मगर अल्लाह ने उसमें (तुम्हारे लिए) बहुत कुछ भलाई रख दी हो।
निसा 4: 19
पस जो नेक रविश रखने वाली औरतें हैं वे मर्दों की सेवा करने वाली होती हैं। और वे मर्दों के पीछे (गैर हाजरी में) अल्लाह की निगरानी में उनके अधिकारों और अमानतों की हिफाजत करती हैं।
निसा 4: 34
No comments:
Post a Comment