जकात
हिदायत है उन परहेजगारों (वे लोग जो अल्लाह से डरते हुए पापों से दूर रहते है) के लिए जो गैब पर ईमान लाते हैं, नमाज कायम करते हैं, और जो कुछ हमने इन्हें दिया है उसमें से (अल्लाह की राह में) खर्च करते हैं।
बकर 2: 2-3
बेशक कामयाब हो गए ईमान वाले जो अपनी नमाजों में खुशु (मन लगाकर) इख्तियार करते हैं, लगू (बेहूदा) बातों से दूर रहते हैं, जकात के तरीके पर आमिल रहते हैं।
मोमिनून 23: 1-4
जो लोग अपना माल अल्लाह की राह मे खर्च करते हैं उनके खर्च की मिसाल ऐसी है जैसे एक दाना बोया जाए और उस से सात बालियां निकलें और हर बाली में सौ दाने हों। इसी तरह अल्लाह जिस अमल (कर्म) को चाहता है बढ़ाता है। वह फराख दस्त (मुटठी खुली रखने वाला) और अलीम (जानने वाला) है।
बकर 2: 261
जो ब्याज तुम देते हो कि लोगों के माल में शामिल होकर वह बढ़ जाएगा, अल्लाह के नजदीक वह नहीं बढ़ता और जो जकात तुम अल्लाह की खुशनूदी (खुशी) हासिल करने के इरादे से देते हो, उसी के देने वाले वास्तव मे अपना माल बढाते हैं।
रूम 30: 39
जो लोग ईमान लाएं और नेक अमल करें और नमाज कायम करें और जकात दें उनका बदला बिना किसी शक के उनके रब के पास है और उनके लिए न कोई डर है न किसी दुख का मौका है।
बकर 2: 277
ऐ नबी ! आप उनके मालों में से सदका लेकर इन्हें पाक कीजिए और (नेकी) की राह में इन्हें बढ़ाइए ।
तौबा 9: 103
और मोमिनीन के मालों में मांगने वालों और नादारों का हक होता है।
मआरिज 70: 24-25
वह अपना माल बावजूद महबूब (माल से प्रेम) होने के रिश्तेदारों और यतीमों पर, मिस्कीनों और मुसाफिरों पर, मदद के लिए हाथ फैलाने वालों पर खर्च करता है और गुलामों की आजादी पर खर्च करता है।
बकर 2: 177
जो लोग सोना चाँदी जमा कर के रखते हैं और उन्हें खुदा की राह में खर्च नहीं करते उन्हें दर्दनाक अजाब की खुश खबर सुना दो। एक दिन आएगा कि उस सोने चाँदी पर जहन्नुम की आग दहकाई जाएगी और फिर उसी से उन लोगों की पेशानियों, पहलुओं और पीठों को दागा जाएगा ।
तौबा 9: 34-35
ऐ ईमान वालो जो पाक माल तुमने कमाया है और जो पैदावार हमने तुम्हारे लिए जमीन से निकाली है उसमें से (सदका और दान ) दिया करो ।
बकर 2: 267
और जकात का माल तो सिर्फ फकीरों (मोहताज जिनके पास आमदनी का साधन न हो) के लिए और मिस्कीनों के लिए है और उन लोगों के लिए जो जकात के काम पर नियुक्त हैं, और जिनका दिल मोहने के लिए और (यह माल) गुलामों को आजाद कराने के लिए, और कर्जदारों की मदद करने में और अल्लाह की राह में (तमाम नेकी के काम जिनसे अल्लाह खुश हो, उलमा की बड़ी तादाद के अनुसार इसका मतलब अल्लाह के लिए जिहाद फी सबिलिल्लाह है), और मुसाफिर नवाजी में काम लेने के लिए है, एक फरीजा ( कर्तव्य ) है अल्लाह की तरफ से और अल्लाह सब कुछ जानने वाला और दाना (अक्लमंद) व बीना (देखने वाला) है।
तौबा 9: 60
वह अल्लाह ही है जिसने तरह-तरह के बाग और बेलों के बाग (अंगूर आदि) और खजूर के बाग और खेतियाँ उगाई जिनसे अलग-अलग प्रकार की पैदावार लेते हैं, अनार और जैतून जो एक दूसरे से मिलते -जुलते भी हैं और नहीं भी मिलते । जब वे फल दें तो उनके फल खाओ और अल्लाह का हक अदा करो जो उस फसल की कटाई के दिन वाजिब होता है।
अनआम 6: 141
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