छोटे बच्चे की शर्म-गाह को हाथ लगाने से वुज़ू टूट जाता है या नहीं ? Chhote bachche ki sharmgah ko hath lagane se wujuh tut jata he ya nahi

छोटे बच्चे की शर्म-गाह को हाथ लगाने से वुज़ू ?

छोटे बच्चे की शर्म-गाह को हाथ लगाने से वुज़ू टूट जाता है या नहीं ? Chhote bachche ki sharmgah ko hath lagane se wujuh tut jata he ya nahi

बिल-ख़ुसूस (ख़ास-कर) ख़वातीन (औरतों) को बच्चे की सफ़ाई करते वक़्त या धोते वक़्त हाथ लगाना पड़ता है तो क्या उससे उनका वुज़ू बरक़रार रहता है या टूट जाता है ?

इस हवाले से 'उलमा की दो आरा (मत) में से राजेह (सहीह) यही है कि छोटे बच्चे की शर्म-गाह को हाथ लगने से वुज़ू नहीं टूटता या'नी (मतलब) अगर किसी का वुज़ू हो और उस दौरान (समय) बच्चे की सफ़ाई वग़ैरा करनी पड़ जाए जिससे उसकी शर्म-गाह को हाथ लग जाता है तो उससे वुज़ू पर कोई असर नहीं पड़ता बल्कि (किंतु) वुज़ू बरक़रार और सहीह रहता है

तफ़्सील यूँ हैं कि बच्चे की शर्म-गाह का हुक्म बड़े लोगों वाला नहीं होता मसलन जैसे 'अलावा ज़ौजैन (मियाँ-बीवी के सिवा) किसी बड़े की शर्म-गाह को देखना या छूना हराम है जबकि (हालाँकि) छोटे बच्चे की शर्म-गाह को देखना हराम नहीं होता इसे ब-वक़्त-ए-ज़रूरत देख भी सकते हैं या सफ़ाई के लिए छू सकते हैं।


➡️ जैसा कि शैख़-उल-इस्लाम इब्ने तैमिया रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं:

عورة الصغير لا حكم لها ، ولذلك يجوز مسها.

" छोटे बच्चे की शर्म-गाह का कोई हुक्म नहीं होता इस लिए इसे छूना जाइज़ है "

 (شرح العمدة : 1/ 245)

➡️ 'अल्लामा मर्दावी रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं:

لا يحرم النظر إلى عورة الطفل والطفلة قبل السبع , ولا لمسها ، نص عليه الإمام أحمد. 

" सात साल से छोटे बच्चे या बच्ची की शर्म-गाह को देखना या छूना हराम नहीं है यह मसअला इमाम अहमद रहिमहुल्लाह से नस्सन साबित है "

 (الإنصاف : 8/ 23)

➡️ इमाम इब्ने कुदामा रहिमहुल्लाह ने इमाम ज़हरी और अवजाई रहिमहुल्लाह के हवाले से बयान किया है:

لا وضوء على من مس ذكر الصغير لأنه يجوز مسه والنظر إليه. 

" छोटे बच्चे की शर्म-गाह को छूने पर वुज़ू नहीं है क्यूंकि इसे छूना या देखना जाइज़ है "

 (المغنی : 1/ 133)

➡️ शैख़ मोहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं:

ما دون سبع سنين عند الفقهاء ليس لعورته حكم ، بل عورته مثل يده ، ولهذا يجوز النظر إليها ، ولا يحرم مسها.

" फ़ुक़हा के हां (वहाँ) सात साल से छोटे बच्चे की शर्म-गाह का कोई हुक्म नहीं होता बल्कि (लेकिन) वो इस के हाथ की तरह होती है इस लिए उसे देखना जाइज़ है और उसे छूना भी हराम नहीं "

 (الشرح الممتع : 5/ 275)

➡️ 'अल्लामा कासानी हनफ़ी रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं:

حُكْمَ الْعَوْرَةِ غَيْرُ ثَابِتٍ فِي حَقِّ الصَّغِيرِ وَالصَّغِيرَةِ.

" छोटे बच्चे और बच्ची पर शर्म-गाह

का हुक्म लागू नहीं है "

 (بدائع الصنائع : 1/ 305)


वज़ाहत: जिस हदीष में ज़िक्र है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:

 مَنْ مَسَّ ذَكَرَهُ فَلْيَتَوَضَّأْ. 

" जिस ने अपनी शर्म-गाह को छूया वो वुज़ू करे " 

(سنن ابی داود : 181، سنن الترمذی : 82، صحیح.)

इस का त'अल्लुक़ (संबंध) छोटे बच्चे के साथ नहीं जैसा कि ऊपर बयान हो चुका कि वो बड़ो के हुक्म में है नीज़ (और) हदीष से मुराद (मतलब) भी यह है कि शर्म-गाह को छूने से वुज़ू तब टूटता है जब बिला-वास्ता (डाइरेक्ट) बग़ैर किसी हाइल (आड़) के और शहवत के साथ हाथ लगे 

जैसा कि सय्यदना अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:

«إذا أفْضى أحَدُكُمْ بِيَدِهِ إلى فَرْجِهِ، ولَيْسَ بَيْنَهُما سِتْرٌ ولا حِجابٌ، فَلْيَتَوَضَّأْ»

" जब तुम में से कोई अपना हाथ उस हालत में शर्म-गाह की तरफ़ बढ़ाए कि हाथ और शर्म-गाह के दरमियान (बीच में) कोई रुकावट न हो तो वो वुज़ू करे "

صحیح ابن حبان : 1118 وسندہ حسن، وانظر مسند أحمد ط ؛الرسالہ (14/ 130) 

और सय्यदना तल्क़ रज़ियल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ से शर्म-गाह को छूने पर वुज़ू के मुत'अल्लिक़ (बारे में) पूछा गया तो आप ने फ़रमाया:

إِنَّمَا هُوَ بَضْعَةٌ مِنْكَ، أَوْ جَسَدِكَ. 

" वो आपके जिस्म (शरीर) का ही तो एक टुकड़ा है "

(سنن ابی داود : 182، سنن الترمذی : وسندہ صحیح.)

  इस हदीष से मा'लूम हुआ कि अगर जिस्म (शरीर) के दूसरे आ'ज़ा (अंग) हाथ, नाक, कान, चेहरे वग़ैरा की तरह ही शर्म-गाह को बिला-शहवत हाथ लग जाए तो वुज़ू नहीं टूटता

और बच्चे की शर्म-गाह में तो क़त'ई तौर पर (बिल्कुल) एसी कोई चीज़ नहीं होती लिहाज़ा (इसलिए) शर्म-गाह को छूने पर वुज़ू करने वाली हदीष से इस्तिदलाल (दलील पेश) नहीं किया जा सकता 

वल्लाहु-आ'लम।

  शैख़ मोहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन रहिमहुल्लाह से सवाल किया गया कि अगर औरत बच्चे की शर्म-गाह को हाथ लगाए तो क्या उससे वुज़ू टूट जाता है ?

  तो उन्होंने फ़रमाया:

لا ينتقض وضوء المرأة إذا هي غسلت ولدها ومست ذكره أو فرجه.

" जब औरत अपने बच्चे को धोती है और उस दौरान (समय) उस की शर्म-गाह को हाथ लगा लेती है तो उससे वुज़ू नहीं टूटता "

(لقاء الباب المفتوح : 9/ 49)

नोट:

  इस सिलसिले में रसूलुल्लाह ﷺ से मर्वी रिवायत कि

 ((إنَّ حُرْمَةَ عَوْرَةِ الصَّغِيرِ كَحُرْمَةِ عَوْرَةِ الكَبِيرِ.)) 

ग़ैर साबित व सख़्त मुनकर है,

 (المستدرک للحاکم : 3/ 288 ، وعلى فرض صحته فهو محمول على من يبلغ حد الشهوة أو على الندب كما فى السراج المنير للعزيزى (٣/ ٣٥٩)

ख़ुलासा-ए-कलाम:

  हासिल-ए-बहस यह है कि छोटे बच्चे की शर्म-गाह को हाथ लगने से वुज़ू नहीं टूटता इस लिए बच्चों की सफ़ाई वग़ैरा करते वक़्त हाथ लग जाए तो उन का पहले से किया हुआ वुज़ू बरक़रार रहेगा इस पर कोई असर नहीं पड़ेगा सिर्फ़ अपने हाथ धो कर नमाज़ वग़ैरा अदा की जा सकती है।

وما توفیقی إلا باللہ ۔

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लेखक: हाफ़िज़ मोहम्मद ताहिर

हिंदी अनुवाद: अब्दुल मतीन सैयद


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