ISLAM KI TALIM


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इस्लाम की शिक्षा और मुसलमानों के वास्तविक आचरण में अत्यधिक अंतर है
प्रश्नः यदि इस्लाम विश्व का श्रेष्ठ धर्म है तो फिर क्या कारण है कि बहुत से मुसलमान बेईमान और विश्वासघाती होते हैं। धोखेबाज़ी, घूसख़ोरी और नशीले पदार्थों के व्यापार जैसे घृणित कामों में लिप्त होते हैं।
उत्तरः
संचार माध्यमों ने इस्लाम का चेहरा बिगाड़ दिया है
(क) निसन्देह, इस्लाम ही श्रेष्ठतम धर्म है किन्तु विश्व संचार माध्यम ;डमकपंद्ध पश्चिम के हाथ में है जो इस्लाम से भयभीत है। यह मीडिया ही है जो इस्लाम के विरुद्ध दुराग्रह पूर्ण प्रचार-प्रसार में व्यस्त रहता है। यह संचार माध्यम इस्लाम के विषय में ग़लत जानकारी फैलाते हैं। ग़लत ढंग से इस्लाम का संदर्भ देते हैं। अथवा इस्लामी दृष्टिकोण को उसके वास्तविक अर्थ से अलग करके प्रस्तुत करते हैं।
(ख) जहाँ कहीं कोई बम विस्फोट होता है और जिन लोगों को सर्वप्रथम आरोपित किया जाता है वे मुसलमान ही होते हैं। यही बात अख़बारी सुर्ख़ियों में आ जाती है परन्तु यदि बाद में उस घटना का अपराधी कोई ग़ैर मुस्लिम सिद्ध हो जाए तो उस बात को महत्वहीन ख़बर मानकर टाल दिया जाता है।
(ग) यदि कोई 50 वर्षीय मुसलमान पुरुष एक 15 वर्षीय युवती से उसकी सहमति से विवाह कर ले तो यह ख़बर अख़बार के पहले पृष्ठ का समाचार बन जाती है। परन्तु यदि कोई 50 वर्षिय ग़ैर मुस्लिम पुरुष छः वर्षीया बालिका से बलत्कार करता पकड़ा जाए तो उस ख़बर को अख़बार के अन्दरूनी पेजों में संक्षिप्त ख़बरों में डाल दिया जाता है। अमरीका में प्रतिदिन बलात्कार की लगभग 2,713 घटनाएं होेती हैं परन्तु यह बातें ख़बरों में इसलिए नहीं आतीं कि यह सब अमरीकी समाज का सामान्य चलन ही बन चुका है।
प्रत्येक समाज में काली भेड़ें होती हैं
मैं कुछ ऐसे मुसलमानों से परिचित हूँ जो बेईमान हैं, धोखेबाज़ हैं, भरोसे के योग्य नहीं हैं। परन्तु मीडिया इस प्रकार मुस्लिम समाज का चित्रण करता है जैसे केवल मुसलमान ही बुराईयों में लिप्त हैं। काली भेड़ें अर्थात् कुकर्मी प्रत्येक समाज में होते हैं। मैं ऐसे लोगों को भी जानता हूँ जो स्वयं को मुसलमान कहते हैं और खुलेआम अथवा छिपकर शराब भी पी लेते हैं।
कुल मिलाकर मुसलमान श्रेष्ठतम हैं मुस्लिम समाज में इन काली भेड़ों के बावजूद यदि मुसलमानों का कुल मिलाकर आकलन किया जाए तो वह विश्व का सबसे अच्छा समाज सिद्ध होंगे। जैसे मुसलमान ही विश्व की सबसे बड़ी जमाअत है जो शराब से परहेज़ करते हैं। इसी प्रकार मुसलमान ही हैं जो विश्व में सर्वाधिक दान देते हैं। विश्व का कोई समाज ऐसा नहीं जो मानवीय आदर्शों (सहिष्णुता, सदाचार और नैतिकता) के संदर्भ में मुस्लिम समाज से बढ़कर कोई उदाहरण प्रस्तुत कर सकें।
कार का फ़ैसला ड्राईवर से न कीजिए मान लीजिए कि आपने एक नए माॅडल की मर्सडीज़ कार के गुण-दोष जानने के लिए एक ऐसे व्यक्ति को थमा देते हैं जो गाड़ी ड्राइव करना नहीं जानता। ज़ाहिर है कि व्यक्ति या तो गाड़ी चला ही नहीं सकेगा या एक्सीडेंट कर देगा। प्रश्न यह उठता है कि क्या ड्राईवर की अयोग्यता में उस गाड़ी का कोई दोष है? क्या यह ठीक होगा कि ऐसी दुर्घटना की स्थिति में हम उस अनाड़ी ड्राईवर को दोष देने के बजाए यह कहने लगें कि वह गाड़ी ही ठीक नहीं है? अतः किसी कार की अच्छाईयाँ जानने के लिए किसी व्यक्ति को चाहिए कि उसके ड्राईवर को न देखे बल्कि यह जायज़ा ले कि स्वयं उस कार की बनावट और कारकर्दगी इत्यादी कैसी है। जैसे वह कितनी गति से चल सकती है। औसतन कितना ईंधन लेती है। उसमें सुरक्षा के प्रबन्ध कैसे हैं, इत्यादि।
यदि मैं केवल तर्क के रूप में यह मान भी लूँ कि सारे मुसलमान बुरे हैं तब भी इस्लाम का उसके अनुयायियों के आधार पर फ़ैसला नहीं कर सकते। यदि आप वास्तव में इस्लाम का विश्लेषण करना चाहते हैं और उसके बारे में ईमानदाराना राय बनाना चाहते हैं तो आप इस्लाम के विषय में केवल पवित्र क़ुरआन और प्रामाणिक हदीसों के आधार पर ही कोई राय स्थापित कर सकते हैं।
इस्लाम का विश्लेषण उसके श्रेष्ठतम पैरोकार अर्थात हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के द्वारा कीजिए
यदि आप पूर्ण रूप से जानना चाहते हैं कि कोई कार कितनी अच्छी है तो उसका सही तरीकष यह होगा कि वह कार किसी कुशल ड्राईवर के हवाले करें। इसी प्रकार इस्लाम के श्रेष्ठतम पैरोकार और इस्लाम की अच्छाईयों को जाँचने का सबसे अच्छी कसौटी केवल एक ही हस्ती है जो अल्लाह के आख़िरी पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अतिरिक्त कोई और नहीं है। मुसलमानों के अतिरिक्त ऐसे ईमानदार और निष्पक्ष इतिहासकार भी हैं जिन्होंने हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को श्रेष्ठतम महापुरुष स्वीकार किया है। ‘‘इतिहास के 100 महापुरुष’’ नामक पुस्तक के लेखक माईकल हार्ट ने अपनी पुस्तक में आप (सल्लॉ) को मानव इतिहास की महानतम विभूति मानते हुए पहले नम्बर पर दर्ज किया है। (पुस्तक अंग्रेज़ी वर्णमाला के अनुसार है परन्तु लेखक ने हुजूष्र (सल्लॉ) की महानता दर्शाने के लिए वर्णमाला के क्रम से अलग रखकर सबसे पहले बयान किया है) लेखक ने इस विषय में लिखा है कि ‘‘हज़रत मुहम्मद (सल्लॉ) का व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली और महान है कि उनका स्थान शेष सभी विभूतियों से बहुत ऊँचा है इसलिए मैं वर्णमाला के क्रम को नज़रअंदाज़ करके उनकी चर्चा पहले कर रहा हूँ।’’
इसी प्रकार अनेक ग़ैर मुस्लिम इतिहासकारों ने हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की प्रशंसा की है इन में थामस कारलायल और लामर्टिन इत्यादि के नाम शामिल हैं।

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