इस्लामी समाज का मिशन
जमाने की कसम।
इंसान दर हकीकत घाटे में हैं।
सिवाय उन लोगों के जो ईमान लाएं
और नेक आमाल करते रहें और
एक दूसरे को हक की नसीहत और
सब्र की तलकीन करते रहें।
अस्र 103: 1-3
अल्लाह के नजदीक दीन सिर्फ इस्लाम है ।
आले इमरान 3: 19
हकीकत में तो मोमिन वे हैं जो अल्लाह और उसके रसूल (स.अ.व.) पर ईमान लाए फिर उन्होंने कोई शक न किया और अपनी जानों और मालों से अल्लाह की राह में जेहाद किया, वे ही सच्चे लोग हैं।
हुजुरात 49: 15
सब मिलजुलकर अल्लाह की रस्सी को मजबूत पकड़ लो और तफरके (विवाद, विभेद) में न पड़ो।
आले इमरान 3: 103
और इसी तरह हमने मुसलमानों को एक ''उम्मते वस्त'' (एक ऐसा ऊंचे दर्जे का गिरोह जो इन्साफ और मध्यम मार्ग पर चले जिसका ताल्लुक सबके साथ एक से अधिकार और सच्चाई के साथ हो) बनाया है ताकि तुम दुनिया के लोगों पर गवाह रहो और रसूल तुम पर गवाह है।
बकर 2: 143
अब दुनिया में वह बेहतरीन गिरोह तुम हो जिसे इन्सानों की हिदायत और सुधार के लिए मैदान में लाया गया है। तुम नेकी का हुक्म देते हो, बदी से रोकते हो और अल्लाह पर ईमान रखते हो।
आले इमरान 3: 110
उसने (अल्लाह) ने तुम्हारे लिए दीन का वही तरीका मुकर्रर किया है जिसका हुक्म उसने नूह को दिया था और जिसे (ऐ मुहम्मद स.अ.व) अब तुम्हारी तरफ हमने वही के जरिए से भेजा है और जिसकी हिदायत हम इब्राहीम और मूसा और ईसा को दे चुके हैं, इस ताकीद के साथ ही कायम करो इस दीन को और इसमें विभाजित न हो जाओ।
शूरा 42: 13
हकीकत यह है कि अल्लाह किसी कौम के हाल नहीं बदलता जब तक वह खुद अपने आपको नहीं बदल देती।
रअद- 13: 11
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