ALLAH KI UPASNA PREM DAR

अल्लाह की उपासना प्रेम, डर, आशा से करना
इस्लाम में उपासना की धारणा का एक अनोखा अंदाज़ है| इसमें (उपासना में) प्रेम, डर तथा आशा सम्मिलित होना चाहिए| यह सब सम्मिलित होने पर ही उपासना पूरी और स्वच्छ होती है| इस विषय में दूसरे धर्म का विचार देखिये : ईसाई केवल अल्लाह के प्रेम के बारे में बात करते है और ये भूल जाते है कि अल्लाह से डरना भी चाहिए| यहूदी केवल आशा लगाये रहते है कि अल्लाह उन्हें नरक में नहीं डालेगा, क्यों कि अल्लाह उन्हें बहुत चाहता है| इसके विरुध्ध इस्लाम यह कहता है कि, अल्लाह का प्रेम, उसकी दया की आशा और उसके दंड के भय के साथ उसकी उपासना की जाये| खुरआन का पहला सूरा, सूरा फातिहा में इसका वर्णन किया गया है|

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